बलिया। बाढ़ विभाग के एक्सईएन कुमार गौरव के अनुसार इस साल 2015-2016 में दुबेछपरा रिंग बंधे के मरम्मत के नाम पर उनके महकमे ने कुल छह करोड़ रुपये खर्च किए. गंगा का दबाव बढ़ने पर बीते 15 दिन में ही उनके महकमे ने इसे बंधे को बचाने के लिए एक करोड़ पांच लाख रुपये खर्च कर डाले. यदि वास्तव में इस बंधे पर इतना खर्च किया गया है तो फिर बंधे को बचाया जा सकता था. मगर ऐसा नहीं हुआ. जाहिर है कुछ झोल है.
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ऐसी सूरत में क्या इसे सही नहीं मान लिया जाए कि इस बंधे पर खर्च किए गए पैसे केवल बाढ़ विभाग के अधिकारी और ठेकेदारों में बंदर बाट हुई है? कई लोग तो जनप्रतिनिधियो को भी दोषी ठहरा रहे हैं. उनका कहना है कि जनप्रतिनिधियो की भी जिम्मेदारी होती है कि क्षेत्र में कौन सा काम कैसे कराया जा रहा है, इस पर नजर रखें. मगर जिले के नेताओं के पास इतना समय कहां है. हां, अब जब बंटाधार हो गया, चिल्ला चिल्ला कर सब फोटो खिंचवा रहे हैं.
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