बड़ी शिद्दत से याद किए गए छोटे लोहिया जनेश्वर मिश्र

बलिया। छोटे लोहिया जनेश्वर मिश्र को बलिया में 7 वीं पुण्यतिथि पर याद किया गया. समाजवादी पार्टी कार्यालय पर कार्यकर्ताओं ने उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर नमन किया. वक्ताओं ने उनके आदर्शों को आत्मसात करने का संकल्प लिया.

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ समाजवादी नेता द्विजेंद्र मिश्र ने छोटे लोहिया के नाम से मशहूर जनेश्वर मिश्र जी के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि डॉ. राम मनोहर लोहिया के व्यक्तित्व की पूरी छाप जनेश्वर मिश्र के व्यक्तित्व में झलकती थी. लोहियावादी चिंतन के प्रति उनके समर्पण में उन्हें छोटे लोहिया के रूप में स्थापित किया. युवा पीढ़ी यदि लोहियावादी ग्रंथों से लोहिया एवं छोटे लोहिया के चिंतन का अध्ययन कर उसे अपने आचरण में उतारें तो यही छोटे लोहिया श्री मिश्र के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी.

परमात्मा नंद पांडेय ने कहा कि छोटे लोहिया के करीब रहते हुए मुझे काम करने का अवसर मिला है. वह अपने अंदर गरीबों मजलूमों एवं आम आदमी का दर्द समेटे रहते थे. इस अवसर पर प्रमुख रूप से पार्टी के पूर्व जिला अध्यक्ष डॉ. विश्राम यादव. प्रेम शंकर चतुर्वेदी, सुधांशु शेखर पांडेय, दीवान सिंह, राजकुमार पांडेय, भीम चौधरी, जमाल आलम, किशन प्रताप सिंह, जुबेर, सोनू, मृत्युंजय राय, हरेंद्र, अजीत यादव, सुभाष यादव, नवीन राय गोलू, मनीष दुबे मनन, बृजेश पाठक, कमलेश राय आदि ने विचार व्यक्त किए. संचालन सुशील पांडेय कान्ह जी ने किया.

इसी क्रम में जनेश्वर मिश्र की पुण्यतिथि पर रविवार को इनके चाहने वाले समाजवादियों ने पूर्व चेयरमैन लक्ष्मण गुप्ता के नेतृत्व में जनेश्वर मिश्र पार्क स्थित उनकी मूर्ति पर माल्यार्पण करके अपने-अपने श्रद्धासुमन अर्पित किए. छोटे लोहिया जो समाजवाद  के अप्रितम व्याख्याकार भी माने जाते रहे हैं. उनके द्वारा दिखाये गए समाजवाद के रास्ते पर चलने के लिए लोगों ने संकल्प लिया. पुष्पांजलि करने वालों में प्रमुख रूप से टून्नू सिंह, अजय सिंह, मिथिलेश गिरि, जयराम चैधरी, शिवशंकर गुप्त आदि रहे.

उधर, सदर विधायक नारद राय के दिशा निर्देश पर समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने जीरा बस्ती वन बिहार में स्थापित जनेश्वर मिश्र की प्रतिमा पर माल्यार्पण का उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी. इस अवसर पर समाजवादी चिन्तक द्विजेन्द्र मिश्र ने कहा कि छोटे लोहिया के नाम से विख्यात जनेश्वर मिश्र ने गैर बराबरी के खिलाफ आजीवन संघर्ष किया.

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