कलम के जादूगर की 120 वीं जयंती पर विशेष
लोकनायक जयप्रकाश नारायण से अंतिम सांस तक निभाई अटूट मित्रता
अपने जीवन के अंतिम समय में कहा था- यह अंधकार फटेगा, निराशा टूटेगी, देश के आगे नया स्वर्णविहान होगा
जन्म- 23 दिसम्बर 1899
मृत्यु- 7 सितम्बर 1968
जन्म स्थान- बेनीपुर बाग, औराई, मुजफ्फरपुर- बिहार
प्रसिद्धि- सेनानी, पत्रकार, साहित्यकार, कहानीकार, निबंधकार, उपन्यासकार और नाटककार
बलिया से धनंजय पांडेय
रामवृक्ष बेनीपुरी ने जयप्रकाश नारायण के संपूर्ण क्रांति की भविष्यवाणी सात साल पहले ही कर दी थी. हालांकि उन्होंने वक्त तय नहीं किया था. पांच अप्रैल 1967 को लिखा था- जयप्रकाश आगामी वर्षों में देश के इस विघटन, बिखराव, अंधकार और निराशा के घुटनपूर्ण वातावरण में नया प्रकाश, नई किरण दें. यह अंधकार फटेगा, निराशा टूटेगी. देश के आगे स्वर्णविहान होगा, जब गांव- गांव और नगर-नगर में जीवन की स्वच्छता, सुख-सुविधा समान रूप से फिर वितरित होगी. जयप्रकाश की इस पुनीत भावना का जयघोष करता हूं. ‘जयप्रकाश नारायण: एक जीवनी’ में बेनीपुरी ने अपने भाव कुछ इस तरह व्यक्त किये हैं. हालांकि यह लिखने के करीब डेढ़ साल बाद नौ सितंबर 1968 को वे चीरनिद्रा में लीन हो गये. लेकिन, पांच जून 1974 को वह ऐतिहासिक दिन आ ही गया, जिसकी बेनीपुरी ने पहले ही घोषणा कर दी थी. पटना के गांधी मैदान में हुई विशाल जनसभा में जयप्रकाश नारायण ने पहली बार संपूर्ण क्रांति का उद्घोष किया. क्रांति शब्द नया नहीं था, लेकिन संपूर्ण क्रांति नया था. अति उत्साही भीड़ के बीच देश की गिरती हालत, प्रशासनिक भ्रष्टाचार, महंगाई, बेरोजगारी, अनुपयोगी शिक्षा पद्धति और प्रधानमंत्री द्वारा अपने ऊपर लगाये गये आरोपों का विस्तार से जवाब देते हुए जयप्रकाशनारायण ने लोगों का संपूर्ण क्रांति के लिये आह्वान किया. बेनीपुरी और जयप्रकाश में अटूट मित्रता थी, तो कई मुद्दों पर समय-समय पर टकराव भी हुआ. हालांकि उनकी मित्रता में कोई फर्क नहीं आया. सम्पूर्ण क्रांति के उद्घोष के समय जेपी ने भावुक होकर कहा था- आज बेनीपुरी और दिनकर होते तो मेरा काम और आसान हो जाता.