बलिया। लोक आस्था का महापर्व छठ. न कोई पंडित ना यजमान. मंत्रोच्चार की भी जरूरत नहीं, सिर्फ आस्था और शुचिता यानि शुद्धता तन की मन की. राजा रंक का कोई भेदभाव नहीं, आम वो खास का भी कोई वितंडा नहीं, सम्प्रदाय का कोई बंधन नहीं, प्राकृतिक उपादानों से सूर्योपासना का त्योहार यानि प्रकृति से सीधा संबंध.
लोकतंत्र और प्रजातंत्र का सीधा साक्षात्कार. कोई उन्मादी नारा नहीं, केला, बांस और नारियल नींबू जैसे प्राकृतिक उपादानों के साथ विशुद्ध भक्तिरस में डूबे मधुर गीत, धन्य है हिन्दी पट्टी की सांस्कृतिक चेतना का यह वाममार्ग, नमन्, शत् शत् नमन्. सूरज सिर्फ उगते ही नहीं, डूबते सूर्य को भी नमस्कार का इकलौता त्योहार. इसी क्रम में रसड़ा तहसील के बेलसरा ग्राम पंचायत के पालसा गांव में छठ पूजा की धूम रही.
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छठ के पावन पर्व पर अन्तिम दिन भी शहर समेत पूरे जिले के मुख्य बाजारों में भीड़ उमड़ी व नगर के विभिन्न घाटों व मंदिरों को पूजा अर्चना के लिए साफ सफाई कराई गई. लोग सुबह से ही छठ की बेदी बनाने में जुटे रहे. वही अन्तिम दिन भी लोगों ने जमकर खरीदारी की बांसडीह व आस पास के गांव के लोग सामानों की खरीदारी करते नजर आए. फल व अन्य सामानों की बिक्री के लिए दुकानों पर भीड़ थी. कुछ फलों के दाम तो आसमान छू रहे थे तो वही कुछ फलों के दाम सस्ते हो गए .
वहीं नगर पंचायत व अन्य गांव के लोग तालाबो ,पोखरों पर छठ की बेदी बना रहे थे. बांसडीह में कचहरी स्थित दुर्गा मंदिर बड़ी बाजार, बाबा भुटेश्वर नाथ, शिव रात्रि पोखरा, पाण्डे के पोखरा, पिंडहरा स्थित बहपुजुआ आदि जगहों पर छठ पूजा करने के लिए घाटो पर पूजन अर्चन की ब्यवस्था की गई. नगर पंचायत व समाज सेवियो द्वारा सारे घाटों को सजाया गया था. हर जगह बिजली की व्यवस्था की गई है. घाटों को बैनरो व पोस्टरों से पाट दिया गया है. क्षेत्रीय पुलिस भी दिन भर चक्रमण करती रही.