यानी हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के चुनाव में अब बाहरी वकील मतदान नहीं कर सकेंगे
इलाहाबाद। अब इलाहाबाद हाईकोर्ट में वोट डालने के लिए अधिवक्ताओं का हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करना अनिवार्य होगा. यदि वह किसी और अदालत में प्रैक्टिस करता तो उसे हाईकोर्ट बार के चुनाव में मतदान के अधिकार से वंचित किया जा सकता है.
चुनाव में ‘वन बार, वन वोट’ का फॉर्मूला लागू करने के लिए हाईकोर्ट ने चार सीनियर वकीलों की एक कमेटी बनाई है, जो ऐसे वकीलों की पहचान करेगी जो वकालत कहीं और करते हैं, मगर हाईकोर्ट बार का सदस्य होने के नाते यहां के चुनाव में भी वोट डालते हैं. इसी तरह से हाईकोर्ट बार के उन सदस्यों को भी चिन्हित किया जायेगा, जो अन्य अधिवक्ता संगठनों के सदस्य होने के नाते वहां के चुनाव में मतदान करते हैं.
न्यायमूर्ति अरुण टंडन और न्यायमूर्ति राजुल भार्गव की पीठ ने इस पर अपना पक्ष रखने के लिए हाईकोर्ट बार के अध्यक्ष अनिल तिवारी से भी राय मांगी है. बार अध्यक्ष ने भी ‘वन बार, वन वोट’ पर सहमत जताई है. इसके बाद पीठ ने सीनियर वकील टीपी सिंह, बीपी श्रीवास्तव, यूएन शर्मा और रविकांत की एक कमेटी गठित कर दी. अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी को कमेटी का संयोजक बनाया गया है. त्रिवेदी का कहना है कि ‘वन बार, वन वोट’ का मतलब यह है कि एक अधिवक्ता चाहे जितने संगठन का सदस्य हो, मगर उसे वोट डालने का अधिकार एक ही बार एसोसिएशन में मिलेगा.