
नहरों में नहीं आया पानी, किसान परेशान
सिकंदरपुर(बलिया)। अभी तक न तो बारिश की बूंद गिरीं और न ही नहरों में पानी छोड़ा गया. किसान मायूस हो चले हैं. मौसम की बेरुखी के साथ सूखी नहरें किसानों की चिंता बढ़ा रही हैं. पर, विडंबना यह है कि आर्थिक ताकत बनने का सपना दिखाने वाले राजनेताओं के पास किसानों का दर्द समझने के लिए न तो दिल है और न ही दिमाग.
आज किसान खेतों की प्यास बुझाने के लिए परेशान है, तो राजनेता, जनप्रतिनिधि व सिचाई विभाग आश्वासनों देने में जुटा है. हालात इतने बदतर हैं कि इन नहरों में पानी तो दूर इनकी सफाई तक नहीं हो पा रही है. अलबत्ता कागजों में सब कुछ जरूर ओके है, लेकिन वास्तविकता क्या है यह किसानों से पूछा जाय तो आप हकीकत से रूबरू हो सकते हैं. धान की बेहन डालने के लिए इस समय पानी की जरूरत है. लेकिन सिंचाई विभाग की लापरवाही से जिले के सभी नहरों में पानी की बजाय धूल उड़ रही है. इसके चलते धान की नर्सरी पिछड़ती जा रही है.
मायूस किसान खेतों की जुताई कर धान की नर्सरी डालने के लिए कभी आसमान की ओर टकटकी लगा रहा तो कभी नहरों को निहार रहा है. जिले के 519 किलोमीटर परिक्षेत्र में फैली नहरें आज बिना पानी बेकार साबित हो रही हैं. इस समय मूंग, उड़द, पिपरमेंट, हरी सब्जियों के साथ धान की नर्सरी डालने की तैयारी है. लेकिन क्षेत्र की सभी नहरें सूखी पड़ी हैं. मौसम की मार से बेहाल किसानों के दर्द पर बिजली की अघोषित कटौती, खिसकता भूगर्भ जलस्तर और बंद पड़े सरकारी नलकूप घाव पर नमक छिड़कने का काम कर रहे हैं. ग्रामीण इलाकों में भूमिगत जलस्तर खिसकने की वजह से ट्यूबवेल भी हाथ खड़ा करने लगे हैं. जानकारों के अनुसार सही समय पर नर्सरी नहीं लगाई गई तो, खेती तो पिछड़ेगी ही, उत्पादन में भी कमी आ सकती है.