मनियर कस्बा के गंगापुर तिवारी टोला के खिलाड़ियों ने गदा , बान्ना ,बनैठी और तलवार के खेलों का किया प्रदर्शन

मनियर, बलिया. विजयदशमी का पर्व मनियर में धूमधाम से मना. कई दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन जहां बुधवार को हुआ वहीं कई प्रतिमाओं का विसर्जन बृहस्पतिवार के दिन भी किया गया. विभिन्न दुर्गा पंडालों पर लोगों ने दुर्गा प्रतिमाओं का दर्शन किया एवं पूजा पाठ किया.

 

मनियर परशुराम स्थान के पास विभिन्न प्रकार के कला प्रदर्शन किया गया. बाना ,बनैठी, तलवार एवं शारीरिक कला का भी प्रदर्शन हुआ. बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाए जाने वाले दशहरा पर्व के दिन लोगों ने हवन पूजन भी किया और 9 दिनों से चल रहे मां दुर्गा के पूजा का समापन भी हुआ.

मनियर कस्बा एवं गंगापुर तिवारी टोला के खिलाड़ियों द्वारा मनियर परशुराम स्थान पर गदाका, बान्ना ,बनैठी तलवार सहित आदि खेलों का प्रदर्शन किया गया.

 

 

आर एस एस कहता है देश के लिए जीना सीखो- रामकुमार

मनियर, बलिया.अगर दो चार लोग भी शाखा जाना छोड़ दें तो पता नहीं इस देश का क्या होगा? आर एस एस यह नहीं कहता कि देश के लिए मरना सीखो, बल्कि यह कहता है कि देश के लिए जीना सीखो.

उक्त बातें सरस्वती विद्या मंदिर जीरा बस्ती बलिया के उप प्रधानाचार्य रामकुमार जी ने बृहस्पतिवार की शाम मनियर इंटर कॉलेज में विजयदशमी उत्सव के अवसर पर आर एस एस कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा. उन्होंने कहा कि 1925 में डॉ बलिराम हेडगेवार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की थी.

उस समय राजनीतिक पार्टी कांग्रेस थी.
उनका यह सोच था कि देश तो आजाद हो जाएगा लेकिन देश बना रहे इसकी क्या गारंटी है ?आज भी कुछ पार्टियां है. उनकी राजनीतिक परिदृश्य बने रहे इसलिए वह तुष्टीकरण की राजनीति कर रहे हैं.

डॉ बलिराम हेडगेवार जी का सपना था कि अगर एक परसेंट लोग तैयार हो तो यह देश परम वैभव की तरफ अग्रसर होगा. भारत जगतगुरु रहा है और फिर रहेगा. तक्षशिला, नालंदा विश्वविद्यालय रहा हैं जहां पर विश्व के छात्र अध्ययन करने के लिए आते थे.

 

आज देश की आजादी का 75 वां महोत्सव मनाया जा रहा है लोग तो अपने 25 वीं ,50 वीं वर्षगांठ भी मनाते हैं तो देश का अमृत महोत्सव क्यों नहीं मननी चाहिए? आर एस एस जैसे संगठन न हो तो देशद्रोही संगठन इस्लामिक राष्ट्र बना देंगे. एक समय था कि असम जैसे राज्य में हिंदी भाषियों को कार्य करना बहुत ही मुश्किल था लेकिन आज आर एस एस जैसे संगठनों की देन है वहां भी काफी परिवर्तन हुआ है.

इस मौके पर भगवा ध्वज को प्रणाम करने के बाद प्रभु श्री रामचंद्र जी ,मां दुर्गा, आरएसएस के संस्थापक डॉ बलिराम हेडगेवार, एम एस गोलवरकर के चित्र पर पुष्प अर्पित किया गया ।जिला संघचालक भृगुनाथ प्रसाद स्वर्णकार के अतिरिक्त करीब तीन दर्जन आर एस एस कार्यकर्ता मौजूद रहे.
(मनियर संवादाता वीरेंद्र सिंह की रिपोर्ट)

 

 

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