बलिया। प्रभावी पौधारोपण के लिए जन- जन की सहभागिता एवं स्वचेतना जागृति आवश्यक है. पौधारोपण को बढ़ावा देने के लिए लाख कोशिशों के बावजूद यह अपने उद्देश्य में प्रभावी ढंग से सफल नहीं हो पा रहा है. इसी के चलते अपने देश में स्थानीय, क्षेत्रीय, प्रादेशिक एवं राष्ट्रीय स्तर पर जो पौधारोपण किया जाता है, उसका उद्देश्य पूर्णतः सफल नहीं हो पा रहा है. पौधे तो लगाए जाते हैं, किन्तु उनकी सुरक्षा, संरक्षा न होने के कारण उनमें अधिकांश नष्ट हो जाते हैं. ऐसा कहना है अमरनाथ मिश्र पीजी कॉलेज, दुबेछपरा, बलिया के पूर्व प्राचार्य डॉ. गणेश पाठक का.
बलिया लाइव संग बातचीत में डॉ पाठक ने कहा कि प्रभावी ढंग से पौधारोपण के लिए सबसे पहले यह आवश्यक है कि इसे जनान्दोलन बनाया जाए, जो पौधरोपण सरकारी तौर पर सामाजिक वन विभाग की ओर से किया जाता है, उसकी भी मानिटरिंग स्वयं सेवी संस्थाओं द्वारा हो और उसमें स्वयं सेवी सस्थाएँ शामिल रहें. पौधरोपण को निचले स्तर अर्थात् परिवार स्तर से प्रभावी बनाते हुए जन – जन को उससे जोड़ा जाए और जौ पौधे लगाए जाए, उनकी सुरक्षा एवं संरक्षण की जिम्मेवारी उस गाँव के व्यक्ति को ही दी जाए.
डॉ. गणेश पाठक ने कहा कि वर्ष में एक बार वन महोत्सव के समय या तो प्रेरित कर अथवा कानूनतः पालन कराकर एक प्रत्येक व्यक्ति से एक पौधा अवश्य लगवाया जाए. भारतीय संस्कृति में निहित “वृक्षदेवो भव” की विचारधारा से सबको अवगत कराकर वृक्ष संरक्षण की भावना को बल प्रदान किया जा सकता है. प्रत्येक पर्व, त्यौहार, जन्मदिन, शादी की सालगिरह एवं राष्ट्रीय पर्वों पर अनिवार्य रूप से पौधारोपण किया जाए. यदि हम कहीं यात्रा पर जाते हैं तो अपने साथ पौधों के कुछ बीज अवश्य रख लें, जिसे कहीं बंजर या सार्वजनिक रूप से खाली स्थान पर उसको छोड़ देने से उसमें से निश्चित ही कुछ पौधे उग आएंगे और क्षेत्र को हरा – भरा बनाने में सहयोग प्रदान करेंगे. इस तरह उपर्युक्त उपायों द्वारा निश्चित ही हम पौधारोपण को प्रभावी बना सकते हैं और धरा को हरा – भरा बना सकते हैं.