वाराणसी। उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनावों के बाकी बचे दो चरणों के लिए करो या मरो का संघर्ष चल रहा है. बीते चुनाव में इन दो चरणों की एक को छोड़ सभी सीटें जीतने वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और मुख्यमंत्री योगी ने मोर्चा संभाल रखा है, वहीं समाजवादी-बहुजन समाज पार्टी (सपा-बसपा) गठबंधन की ओर से अखिलेश यादव और मायावती पसीना बहा रहे हैं.
भाजपा की योजना छठे व सातवें चरण की हर लोकसभा सीट पर प्रधानमंत्री या अमित शाह की रैली करने की है. गठबंधन भी चार साझा रैलियां और दो दर्जन सभाएं करेगा. गुरुवार को प्रधानमंत्री मोदी ने पूर्वांचल के जौनपुर, प्रयागराज और आजमगढ़ में अमित शाह ने श्रावस्ती में सभाएं की. योगी आज वाराणसी, चंदौली, भदोही, आजमगढ़ और बलरामपुर में रहे. प्रधानमंत्री की आधा दर्जन रैलियां और होनी हैं जबकि अमित शाह दस सभाएं करेंगे. मुख्यमंत्री योगी इन दोनों चरणों में सभी 27 सीटों पर सभाएं करेंगे. वाराणसी में करीब करीब एकतरफा मुकाबला होने के चलते प्रधानमंत्री इस बार वहां कम समय देंगे जबकि उनकी कमी मुख्यमंत्री योगी पूरी करेंगे.
इन दो चरणों में महज कुछ ही सीटों पर मजबूती से लड़ रही कांग्रेस की ओर से पूरी कमान अकेले प्रियंका गांधी के हाथों में है जो जनसभाओं से ज्यादा रोडशो पर जोर दे रही हैं. गुरुवार को प्रियंका ने प्रतापगढ़ में जनसभा और सुल्तानपुर में रोडशो किया. कांग्रेस की नजर इन दोनों चरणों में खास तौर पर मिर्जापुर, प्रतापगढ़, बस्ती, संतकबीर नगर, गोरखपुर, सलेमपुर, महराजगंज, देवरिया और भदोही पर है. कांग्रेस नेताओं के मुताबिक अब उत्तर प्रदेश के बचे हुए चुनावों में राहुल गांधी की एक या दो रैलियां होंगी. पूर्वांचल की जिन 27 सीटों पर चुनाव होना है वहां अति पिछड़ी जातियों की खासी तादाद है और इसी के चलते कई छोटी पार्टियां भी ताल ठोंक रही हैं. राजभर समुदाय में प्रभाव रखने वाली ओमप्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) भाजपा से नाता तोड़ अकेले मैदान में हैं तो कुशवाहा वोटों की दावेदार बाबू सिंह कुशवाहा की जन अधिकार पार्टी भी कांग्रेस से गठबंधन के बाद तीन सीटों पर मैदान में है.