जे एन सी यू में अगस्त क्रांति और बलिया’ विषयक संगोष्ठी का आयोजन
बलिया. जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय में बलिया बलिदान दिवस के अवसर पर ‘अगस्त क्रांति और बलिया’ विषयक संगोष्ठी का आयोजन किया गया. इस अवसर पर मुख्य वक्ता प्रो. जैनेंद्र कुमार पाण्डेय, श्री मुरली मनोहर टाउन डिग्री कालेज ने कहा कि बलिया की क्रांति की कुछ ऐसी विशेषताएँ हैं जो इसे विश्व की महत्त्वपूर्ण क्रांतियों में शुमार करती हैं. मसलन यह क्रांति जाति, वर्ग और लिंग भेद से परे थी और सच्चे अर्थों में बहुलतावादी थी. यह क्रांति जनांदोलन के रूप में स्वत:स्फूर्त थी और इसके परिणाम स्वरूप जनता की सरकार स्थापित हुई थी और जिसका प्रशासन सुव्यवस्थित था.
अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए कुलपति प्रो. संजीत कुमार गुप्ता ने कहा कि बलिया क्रांतिकारियों, बलिदानियों की धरती है और प्रणम्य है. युवाओं को इस क्रांति के चरित्र को आत्मसात करना चाहिए. आज भी युवाओं को संघर्ष करने की आवश्यकता है.
देश के निर्माण के लिए, देश के विकास के लिए कहा कि युवाओं को आत्मविकास के लिए समर्पित होने की आवश्यकता है. विषय प्रवर्तन करते हुए प्राचीन इतिहास के प्राध्यापक डाॅ. अमृत आनंद सिन्हा ने 1942 के आंदोलन में हुई बलिया की क्रांति का विस्तार से वर्णन किया. बताया कि 10 अगस्त 1942 से जो बलिया में क्रांति का ज्वार फूटा उसमें 13 अगस्त को कचहरी पर राष्ट्र ध्वज फहरा, 14 अगस्त को बेलथरारोड, 15 अगस्त को बैरिया, चितबड़ागाँव, नरही, रतनपुरा, रेवती, चौरा, हलधरपुर, चिलकहर, 16 अगस्त को रसड़ा, सहतवार, बांसडीह आज़ाद हुए.
बैरिया थाने पर राष्ट्र ध्वज फहराने के क्रम में कौशल कुमार और 17 लोगों ने शहादत दी थी. अंत में जिलाधीश जे निगम ने 19 अगस्त 1942 को चित्तू पाण्डेय को शासन की बागडोर सौंपी थी. इस प्रकार बलिया स्वतंत्र हुआ था.
कार्यक्रम में रमाशंकर पाण्डेय ‘नवल’ के खंडकाव्य ‘शेरे बलिया चित्तू पाण्डेय’ की पंक्तियों का भावपूर्ण वाचन संचालक डाॅ. प्रमोद शंकर पाण्डेय ने किया.
अतिथि स्वागत डाॅ. पुष्पा मिश्रा, निदेशक, शैक्षणिक ने और धन्यवाद ज्ञापन डाॅ. अजय चौबे ने किया. कार्यक्रम में डाॅ. शैलेंद्र, डाॅ. स्मिता, डाॅ. रंजना, डाॅ. अभिषेक, डाॅ. प्रवीण, डाॅ. संजीव, डाॅ. नीरज आदि प्राध्यापक तथा परिसर के विद्यार्थीगण उपस्थित रहे.