रेती पर नदी, धर्म व राजनीति का संगम साफ दिखा

संगम तीर से आलोक श्रीवास्तव 

इलाहाबाद और वाराणसी समेत समूचे उत्तर प्रदेश में बुधवार को बसंत पंचमी के अवसर पर करोडों श्रद्धालुओं ने पवित्र नदियों और सरोवरों में आस्था की डुबकी लगायी. इलाहाबाद, वाराणसी, सीतापुर, गढ़मुक्तेश्वर, मथुरा, अयोध्या, गोरखपुर, बरेली, लखनऊ और कानपुर समेत नदियों के किनारे स्थित घाटों पर भोर से ही स्नानार्थियों की भीड जुटनी शुरू हो गयी थी. पवित्र नदियों में स्नान किया और दान पुण्य कर परिवार की सुख शांति की कामना की. इस दौरान देवी सरस्वती की पूजा का भी जगह जगह आयोजन किया गया.

चलो संगम के तीर, इसी मंशा के साथ वसंत पंचमी के दिन स्नान करने जाते श्रद्धालु. सभी फोटो – आलोक श्रीवास्तव

इलाहाबाद में संगम की रेती पर जुटे 60 लाख श्रद्धालु वसंत पंचमी पर गंगा, यमुना और संगम में किया स्नान अक्षय वट तथा सरस्वती कूप का भी दर्शन किए. संतों ने प्रवचन के दौरान वोटिंग का महत्व भी बताया. माघ मेला के चौथे महत्वपूर्ण स्नान वसंत पंचमी के दिन बुधवार को लाखों भक्तों ने गंगा, यमुना और संगम में डुबकी लगाई. स्नान के बाद सभी ने किले में स्थिति अक्षय वट और सरस्वती कूप का भी दर्शन किया.

संगम की और जाते भक्त

सरस्वती कूप किले के अंदर होने के कारण सेना के कब्जे में है और साल में सिर्फ छह दिन पौस पूर्णिमा, मकर संक्रांति, मौनी अमावस्या, वसंत पंचमी, माघी पूर्णिमा और महा शिवरात्रि को दर्शन के लिए खुलता है. भोर से ही भक्तों के स्नान का सिलसिला शुरू हो गया था. भीड़ इतनी थी कि पैदल भी चलना मुश्किल हो रहा था. इससे कहा जा सकता नहाने वालों की संख्या काफी रही होगी. वैसे प्रशासन का दावा है कि 60 लाख श्रद्धालु संगम की रेती पर जुटे थे.

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संगम क्षेत्र इस दौरान भजन, कीर्तन और मंत्रों से गुंजायमान रहा. विधानसभा चुनाव का समय है, इसलिए संत भी अपने प्रवचन के दौरान भक्तों को बीच-बीच में मतदान का महत्व भी समझा रहे हैं.

चुनावी माहौल में इलाहाबाद में पर्व त्योहार भी सियासी माया से मुक्त नहीं रह पाते हैं

उधर वाराणसी में भी स्नानार्थियों की भीड़ उमड़ी

बता रहे हैं कि जिस प्रकार कन्यादान करते समय दान लेने वाले कि पूरी जांच-पड़ताल की जाती है, उसी प्रकार वोट देते समय भी पूरी तरह सन्तुष्ट हो लें कि जिसे हम चुनने जा रहे हैं वह हमारे क्षेत्र के लिए ही नहीं, प्रदेश और देश के लिए भी उत्तम हो. ये कहा जा सकता है कि रेती पर नदियों, धर्म और राजनीति का संगम साफ दिख रहा है.

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