बलिया। स्वास्थ्य विभाग की हेल्थ बुलेटिन के मुताबिक शुक्रवार को 44 नए कोरोना संक्रमित मिले हैं. इस तरह यहां संक्रमितों की कुल संख्या 659+53 हो गयी है. फिलहाल जिले में कुल एक्टिव केस 293 हैं. आज 17 लोग डिस्चार्ज किए गए. इन्हें मिलाकर अब तक 361 लोग स्वस्थ होकर घर लौट चुके हैं.
आजमगढ़ के राजकीय मेडिकल कॉलेज और सुपर फैसिलिटी अस्पताल में 24 घंटे के अंदर बलिया के अवकाश प्राप्त सीएमओ समेत नौ कोरोना संक्रमित मरीज भर्ती हुए. नोडल अधिकारी डॉ. दीपक पांडेय ने बताया कि वर्तमान में कुल भर्ती मरीजों की संख्या 48 है. इसमें सात बलिया, छह मऊ व 35 संक्रमित आजमगढ़ जनपद के हैं. उन्होंने बताया कि इनमें सात गंभीर मरीजों को आइसीयू वार्ड में भर्ती किया गया है. शेष मरीज आइसोलेशन वार्ड में भर्ती हैं.
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प्रधानाचार्य डॉ. आरपी शर्मा ने बताया कि कोविड-19 को समर्पित होने के बाद राजकीय मेडिकल कॉलेज को L3 श्रेणी में तब्दील कर दिया गया है. शासन के निर्देश पर आजमगढ़ मंडल के तीन जिलों के गंभीर मरीजों को भर्ती किया जा रहा है. इसके तहत मेडिकल कॉलेज में कुल 100 बेड की व्यवस्था की गई है. इनमें 80 बेड का आइसोलेशन वार्ड बनाया गया है, जबकि 20 बेड का आइसीयू वार्ड हैं. ऐसे में मरीजों को बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए डॉक्टरों की पूरी टीम दिन-रात लगी है.
बलिया से हटाए गए सीएमओ डॉ. प्रीतम कुमार मिश्र को वरिष्ठ परामर्शदाता के तौर पर जिला चिकित्सालय गोंडा भेजा गया है. वहीं कुशीनगर जिला चिकित्सालय के वरिष्ठ परामर्शदाता डॉ. जितेंद्र पाल को बलिया का सीएमओ बनाया गया है. जिला महिला अस्पताल की सीएमएस रही डॉ. माधुरी सिंह को बलिया से वरिष्ठ परामर्शदाता, संयुक्त चिकित्सालय सोनभद्र भेजा गया है, वहीं बलिया जिला महिला चिकित्सालय में वरिष्ठ परामर्शदाता रही डॉ. सुमिता सिन्हा को सीएमएस का चार्ज दे दिया गया है.
बलिया शहर के सतनी सराय के निर्मल पांडेय ने गत 14 जुलाई को जिलाधिकारी को मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. प्रीतम कुमार मिश्र, अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. सुधीर तिवारी तथा पटल सहायक आरके सैनी के विरुद्ध लिखित शिकायत की थी. भ्रष्टाचार व अनियमितता का साक्ष्य देते हुए एफिडेविट भी दिया था. शिकायतकर्ता ने दवा खरीद में करोड़ों रुपये के गबन के आरोप लगाए थे. सीएमओ की कुर्सी लंबे समय से खास चर्चा में रही है. विगत कई दशक से यहां कभी दवा घोटाला तो कभी संविदा कर्मियों के वेतन भुगतान या किसी फर्म के माध्यम से चिकित्सा सामग्री की खरीदारी में घोटाले का जिन्न बाहर आता रहा है. कभी किसी बाबू के माध्यम से करोड़ों के गबन हुए तो कभी सीएमओ ने किसी फर्म के नाम गबन की अलग कहानी लिखी. इसके बावजूद आज तक बड़ी कार्रवाई से सभी बचते रहे.