पीएम मोदी के खिलाफ अब तेज बहादुर की ‘बहन’ भरेगी हुंकार

वाराणसी। वाराणसी लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी तेज बहादुर का नामांकन रद्द होने के बाद चुनाव और दिलचस्प हो गया है.


बीएसएफ के बर्खास्त जवान तेज बहादुर के बाद अब शालिनी यादव समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी के रूप में बनारस से चुनाव मैदान में हैं. उहोंने गुरुवार को तेज बहादुर से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने तेज बहादुर को राखी बांधकर खुद की जीत के लिए आशीर्वाद लिया.
शालिनी यादव से राखी बंधवाने के बाद तेज बहादुर ने कहा कि वो 5 भाई हैं, लेकिन उनकी बहन नहीं थी. अब उन्हें शालिनी यादव के रूप में बहन मिल गई है. तेज बहादुर ने कहा कि नकली चौकीदार के खिलाफ असली चौकीदार की लड़ाई जारी रहेगी. तेज बहादुर ने ये भी कहा कि वो शालिनी की जीत के लिए अपनी जान की बाजी लगा देंगे.
इससे पहले बुधवार को निर्वाचन अधिकारी ने तेज बहादुर का नामांकन ये कहते हुए रद्द कर दिया था कि तेज बहादुर ने जरूरी दस्तावेज सुबह 11 बजे तक मुहैया नहीं कराए, इसलिए उनका नामांक रद्द कर दिया गया. दरअसल मंगलवार शाम 6.15 बजे निर्वाचन अधिकारी ने तेज बहादुर से कहा था कि वे दिल्ली में जाकर चुनाव आयोग से एनओसी लेकर आएं. निर्वाचन अधिकारी ने उन्हें सनद जमा करने के लिए अगले दिन यानी गुरुवार सुबह 11 बजे तक वक्त दिया था. इस पर तेज बहादुर ने कहा था कि उनके पास इतने पैसे नहीं हैं कि वे प्लेन से जाएं और चंद घंटों में सदन लाकर जमा करवाए, लेकिन वे निर्वाचन अधिकारी से मिले तय वक्त के मुताबिक, नहीं जमा करा पाए थे, जिसके आधार पर उनका नामांकन रद्द कर दिया गया था.
नियमों के मुताबिक, अगर किसी सरकारी कर्मचारी को राज्य या केंद्र सरकार ड्यूटी के दौरान बर्खास्त करती है तो बर्खास्त होने के 5 साल के भीतर उस व्यक्ति को चुनाव आयोग से एक सर्टिफिकेट लेना पड़ता है. बीएसएफ से बर्खास्त तेज बहादुर ने चुनाव आयोग से वो सर्टिफिकेट नहीं ले रखा था, और सर्टिफिकेट नहीं होने के आधार पर उनका नामांकन रद्द कर दिया गया.

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