


सूची में शामिल थे दुधैला, मझौवां व मूड़ाडिह गांव
जनप्रतिनिधि व अधिकारियों के गड़बड़ तालमेल का आरोप
बैरिया(बलिया)। मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश सरकार ने 9 जनवरी को अपने कैबिनेट में गर्मजोशी के साथ मुख्यमंत्री समग्र ग्राम विकास योजना स्वीकृत कराया. तब घोषणा किया था कि वंचितों व शहीदों के गांव इस योजना से चमक उठेगें. बलिया जनपद में भी गांव चयनित किए गए. जारी सूची बलिया जिले के 15 गांव इस अति महात्वाकांक्षी योजना के लिए स्वीकृत किए गए हैं. हद दो यह है कि इस 15 गांवों की सूची में बैरिया विधान सभा क्षेत्र के एक भी गांव शामिल नहीं किए गए हैं.
जबकि जिले के सम्बन्धित विभाग द्वारा बैरिया विधान सभा क्षेत्र के अन्तर्राज्यीय पिछड़ा गांव के रूप में दुधैला व देश की रक्षा में शहीद हुए सेना एवं अर्ध सैनिक बलों के गांव के रूप में मझौवां व मूड़ाडिह गांव सूची में प्रस्तावित थे. इसके अलावा भी बैरिया भाजपा विधायक सुरेन्द्र सिंह ने बैरिया विधान सभा क्षेत्र से सिर्फ बेलहरी ब्लाक के गांव सूची में होने की जानकारी होने पर बैरिया व मुरलीछपरा ब्लाक से एक एक गांव को और इस योजना में शामिल करने का प्रस्ताव किया था. लेकिन अन्तिम सूची जारी होने पर पूरे बैरिया विधान सभा क्षेत्र के एक भी गांव इस योजना में शामिल नहीं किए गए. बल्कि पहले से सूची में शामिल तीन गांव भी कट गए.

इंटक के जिलाध्यक्ष विनोद सिंह का आरोप है कि जनप्रतिनिधि व अधिकारियों का आपसी तालमेल गड़बड़ होने के वजह से इस तरह दरवाजे पर आई सुविधा भी एकाएक हट गई. विधान सभा के चयनित गांव भी इस वित्तीय वर्ष में ऐसी सुविधा से वंचित रह गया. विनोद सिंह ने तत्कालीन जिलाधिकारी व मुख्य विकास अधिकारी द्वारा प्रस्तावित गांव की सूची खारिज करने का भी आरोप लगाया. इंटक नेता ने तंज करते हुए कहा कि मौजूदा सत्ताधारी दल में आपस में भी कपटपूर्ण आचरण चलता है. अपने ही दल के नेताओं को नीचा दिखाने के खेल भी चल रहे है. सुरेमनपुर रेलवे स्टेशन पर लखनऊ-छपरा ठहराव का मामला क्या यह साबित करने के लिए कम है. इसके अलावा भी उनके एक दुसरे के प्रति सामने कुछ व पीठ पीछे कुछ और वाली प्रवृति से आम व खास लोग भली भांति परिचित हो गए हैं.
इंटक नेता ने कम से कम इसी वित्तीय वर्ष में ही पहले से सूची में शामिल बैरिया विधान सभा क्षेत्र के दुधैला, मझौवां व मूड़ाडिह गांव को मुख्यमंत्री समग्र ग्राम विकास योजना में शामिल करने के लिए जिलाधिकारी, प्रमुख सचिव ग्राम विकास व मुख्यमंत्री को प्रतिवेदन भेजा है. स्पष्ट किया कि अगले सत्र के लिए नहीं इसी सत्र में गांवों का विकास हो.