बलिया। आज ‘नहाय-खाय’ के साथ महापर्व छठ आरंभ हो गया है. इस बार पहला अर्घ्य 6 नवम्बर को संध्या काल में दिया जाएगा और अंतिम 7 नवम्बर को अरुणोदय में. पहले दिन की पूजा के बाद से नमक का त्याग कर दिया जाता है. छठ के दूसरे दिन को खरना के रूप में मनाया जाता है, इस दिन भूखे-प्यासे रहकर व्रती खीर का प्रसाद तैयार करती है.
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खीर गन्ने के रस की बनी होती है, इसमें नमक या चीनी का प्रयोग नहीं होता. शाम के वक्त इस प्रसाद को ग्रहण करने के बाद फिर निर्जल व्रत कि शुरुआत होती है. छठ के तीसरे दिन शाम के वक्त डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. साथ में विशेष प्रकार का पकवान ‘ठेकुवा’ और मौसमी फल चढ़ाए जाते हैं. अर्घ्य दूध और जल से दिया जाता है. छठ के चौथे और आखिरी दिन उगते सूर्य की पूजा होती है. सूर्य को इस दिन अंतिम अर्घ्य दिया जाता है. इसके बाद कच्चे दूध और प्रसाद को खाकर व्रत का समापन किया जाता है.