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आशीष दूबे, बलिया
बलिया. जनपद का एक गांव परिखरा, इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। इस गांव की मान्यता इतनी अद्भुत है कि जानकर आप हैरान रह जाएंगे। दावा किया जाता है कि यहां आज तक किसी व्यक्ति की मौत सांप के काटने से नहीं हुई है। गांव के लोगों का विश्वास है कि यह नाग माता का वरदान और आशीर्वाद आज भी गांव पर बना हुआ है।
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रामवती देवी बनीं ‘नाग माता’
गांव के निवासी और चंदेल वंश के वंशज जयप्रकाश नारायण सिंह बताते हैं कि रामवती देवी, जिन्हें अब नाग माता के नाम से जाना जाता है, उनके परिवार की बेटी थीं। एक बार वे मिट्टी के घर में अनाज निकालने गईं, तभी एक जहरीले सांप ने उन्हें डस लिया। मृत्यु से पहले उन्होंने कहा था –”आज के बाद इस गांव में किसी की मृत्यु सांप के काटने से नहीं होगी।”गांववाले मानते हैं कि उनकी यह अंतिम वाणी एक वरदान बन गई।
सांप को नहीं मारते, एक रुपए के सिक्के से किया जाता है वश में
गांव में यह प्रचलन है कि कोई भी व्यक्ति सांप को नहीं मारता। यदि कहीं सांप दिख जाता है तो लोग नाग माता का नाम लेकर एक रुपए के सिक्के से उसके चारों ओर गोला बना देते हैं। कहा जाता है कि इसके बाद सांप उस गोले से बाहर नहीं निकल पाता। फिर उसे लकड़ी या डंडे से उठाकर जंगल में छोड़ दिया जाता है।
नाग माता का मंदिर बना आस्था का केंद्र
पहले नाग माता की पूजा केवल चंदेल परिवार में होती थी, लेकिन बाद में गांव के शिवाला पर उनका मंदिर स्थापित किया गया। आज पूरे गांव में नाग माता की पूजा होती है। यहां तक कि गांव से बाहर रहने वाले लोग भी विवाह आदि के बाद विशेष रूप से माता की पूजा करने आते हैं। मान्यता है कि अगर कोई व्यक्ति एक साल के भीतर पूजा नहीं करता, तो एक हाथ लंबा, पीले रंग का सांप उसके सामने बार-बार प्रकट होता है।
65 वर्षों से नहीं सुनी सर्पदंश से मृत्यु की खबर
गांव के निवासी दयानंद मिश्रा, जिनकी उम्र लगभग 65 वर्ष है, बताते हैं कि उन्होंने आज तक किसी की मृत्यु सर्पदंश से नहीं देखी। गांव का क्षेत्रफल लगभग 1600 बीघा है और इतने बड़े इलाके में यह मान्यता बनी रहना किसी चमत्कार से कम नहीं है।
इतिहास के जानकार डॉ. शिवकुमार सिंह कौशिकेय के अनुसार, नाग माता वास्तव में चंदेल वंश की बेटी थीं, जिनकी मृत्यु सांप के काटने से हुई थी। उन्होंने मरते समय पूरे गांव को वरदान दिया था। उनका मानना है कि यह स्थान जैव विविधता का हब है और नाग माता के प्रति लोगों की आस्था ही उन्हें सर्पदंश से सुरक्षित रखती है।
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