मां दा लाडला बिगड़ गया……

शहर से लेकर गांव के गली कूचों तक IPL खेलों में किशोरों में तेजी से बढ़ रही सट्टा लगाने की प्रवृत्ति

बैरिया(बलिया)। आधुनिकता की चकाचौंध उन्नति तो लाती ही है. लेकिन कच्ची उमर वालों में यह अवनति का रास्ता भी तैयार करती है. क्रिकेट की पापुलरटी, IPL खेलों का दौर एक तरफ जहां खेल के प्रति रुचि, स्वास्थ्य मनोरंजन दे रहा है, वहीं किशोरों व युवाओं में सट्टा लगाने की प्रवृत्ति भी बढ़ी है. शहरों की बात छोड़ें गांव देहात में भी किशोरों का बड़ा समूह खेल से पहले ही आपस में यह टीम जीतेगी और यह हारेगी के अनुमान के आधार पर रोज सट्टा लगा रही है. एक मोटा मोटी अनुमान के अनुसार अकेले बैरिया क्षेत्र में मैच के दिन सट्टेबाजी से पांच से सात लाख रुपयों के वारे न्यारे हो रहे हैं.
अंग्रेजी माध्यम स्कूलों के किशोर छात्रों से लेकर गांव के सामान्य शिक्षित या अशिक्षित किशोर भी आपसी सट्टेबाजी में बढ़ चढ़ कर भागीदारी कर रहे है. इस कार्य में किशोर जहां दस-बीस रूपये से शुरू कर चार-पांच सौ रूपये का दाव लगा रहे हैं. वहीं युवा दस-बीस हजार तक का दाव लगा रहे है. खेल शुरू होते ही ऐसे लोग टीवी और मोबाईल पर चिपक जाते है. खेल समाप्त होने के कुछ देर बाद यह चर्चा आम होने लगती है कि आज फलां इतना रूपया जीता या हारा.
खास यह कि जीतने वाले किशोर तो राहत में रहते हैं, जबकि हारने वालों की प्रवृत्ति में गलत रास्तों पर जाने की सम्भावनाए अधिक होती है.
हाथ हाथ एन्ड्रोएड फोन, सस्ते नेटवर्क और बिला श्रम के जोखिम उठा कर अधिक धन पा लेने की बढ़ती प्रवृत्ति चिन्ता का विषय बनती जा रही है.

इस बावत पीजी कालेज सुदिष्टपुरी के अवकाश प्राप्त प्राचार्य व मनोविज्ञानविद् डा. एके पाण्डेय का कहना है कि बच्चे जुआ को अवैध व सट्टा को वैध मानते हुए अपने जरूरतों की पूर्ति के लिए इस तरह के कार्य में मशगूल होते जा रहे हैं. इसमे गलती अभिभावकों की ही मानी जाएगी. वह अपने बच्चो पर नजर रखें. उनके द्वारा उपलब्ध कराए गए सामानों से अलग सामान अथवा पैसा बच्चे के पास आ रहा है, या दिए गए सामानों या पैसे का किस रूप में उपयोग किया इस पर अभिभावक की नजर गहरी होनी चाहिए. सट्टा से प्राप्त धन या वस्तु अथवा गंवाया गया दोनो परिस्थितियां बच्चों को गलत रास्तों यहां तक कि अपराध प्रवृत्तियों की तरफ ले जाने के लिए काफी है. अभिभावकों को अपने बच्चों पर सतर्क नजर रखनी पड़ेगी. जहां तक आईपीएल खेलों की बात है, अपने घर पर ही खेल दिखावें.

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