
बांसडीह, बलिया. नवरात्रि का समय शुरू होते ही मां के मंदिरों में श्रद्धालुओं की लंबी लंबी कतारें लगने लगती हैं. जिले के नरही क्षेत्र में मंगला भवानी, रेवती क्षेत्र में पंचरूखा देवी का मंदिर आस्था से जुड़ा है, जहां नवरात्रि में पूजा अर्चना होती है. लेकिन बांसडीह स्थित दुर्गा मंदिर भी श्रद्धालुओं में बहुत प्रसिद्ध है.
बलिया मार्ग पर साल 1975 में दुर्गा मंदिर की नींव पड़ी. यहां केवल दशहरा में दुर्गा प्रतिमा रखकर समिति द्वारा पूजा पाठ किया जाता थी. धीरे – धीरे इस मंदिर का स्वरूप बदलता गया. और 90 के दशक में महान संत स्व इंद्रजीत पूरी उर्फ लंडिया बाबा के सान्निध्य में दुर्गा प्रतिमा स्थापित हुई. उसके बाद से यह दुर्गा मंदिर अपनी भव्यता की पहचान में आ गया. ऐसे में यहां रोज कोई न कोई मांगलिक कार्य होता रहता है. लोगों में इतना आस्था जगा कि शादियां भी यहीं से तय होने लगीं.
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प्रसाद में पेड़ा है प्रसिद्ध
लड़का हो या लड़की शादी के लिए दोनों पक्ष एक जगह पहुंचकर मंदिर परिसर में खुशी पूर्वक शादी का दिन निश्चित कर लेते हैं. इतना ही नहीं, यहां प्रसाद के लिए एक दुकानदार ऐसा पेड़ा ( बर्फी ) बनाता है कि शायद उस तरह का प्रसाद जिला में कहीं नहीं मिलेगा. दुकानदार मेहनत कर प्रसाद बनाता है तथा तय रेट से एक रुपये से अधिक नही लेता. जब कि उसकी मेहनत को देखकर लोग दस रुपए अधिक भी देना चाहता है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि बांसडीह स्थित मां दुर्गा से आम जन में कितनी आस्था जुड़ी है.
(बांसडीह संवाददाता रवि शंकर पांडे की रिपोर्ट)