बैरिया: दूबेछपरा रिंग बंधा टूटने के बाद गोपालपुर, दूबेछपरा और उदई छपरा गांव में पानी फैल गया है. उदई छपरा और गोपालपुर गांव बंधा से बिल्कुल सटे होने से सबसे अधिक प्रभावित यही दोनों गांव हुए हैं.
वहां के लोगों ने एनएच-31 के दोनों किनारों पर शरण ले रखा है. हालांकि 17 सितंबर की सुबह बाढ़ पीड़ितों के लिए कुछ अच्छा नहीं रहा. रिंगबंधा टूटने के साथ सड़क किनारे पहुंचे लोगों ने वहां उगी घास को काटकर खुले आसमान के नीचे किसी तरह ठौर बनाया. उनके साथ परिवार के अलावा मवेशी और सामान भी वहीं पड़े हैं.
तहसील प्रशासन की तरफ से ही तैयार खाने के पैकेट विधायक सुरेंद्र सिंह ने रात में हर कटान पीड़ित को दिया. पशुओं के लिए शाम को कोई व्यवस्था नहीं थी. रात में ही तहसील प्रशासन ने 84 लोगों में तिरपाल का वितरण किया.
एनएच पर डेरा जमाये लोगों में ज्यादातर लोग सो ही नहीं पाये. सुबह से ही लोग बंधे पर अपनी-अपनी जगह बनाने में व्यस्त हो गये. सड़क के करीब एक किलोमीटर दूर तक दोनों तरफ लोगों ने डेरा डाल रखा था. सुबह होने पर अन्य कटान पीड़ित बंधे पर पहुंचने लगे हैं. पीड़ितों को बंधा तक पहुंचाने में सुबह से ही एनडीआरएफ के जवान लगे हैं.
उनसे लोग घरों में से सामान भी निकलवाने के लिए कह रहे थे, लेकिन जवानों ने सिर्फ आदमियों को ही ले जाने की बात कही. सुबह होते ही दूबेछपरा बांध पर मोबाइल वैन में चिकित्सकों की टीम भी पहुंची. वैन में रोगियों का इलाज किया जा रहा है.
हनुमान मंदिर के पास पशु चिकित्सा शिविर लगा है, जिसके 9 चिकित्सक घूम-घूम कर पशुओं की जांच कर रहे हैं. पशुओं के लिए भूसा की कोई व्यवस्था नहीं है. बंधे पर पहुंचे लोगों की सबसे बड़ी समस्या भोजन की है. सुबह 11:00 बजे तक पीड़ितों को नाश्ता या भोजन नहीं मिला था. राजस्व विभाग के शिविर से पता चला कि नाश्ता के लिए चना, लाई और चूड़ा का पैकेट अभी बाजार में ही तैयार किया जा रहा है. भोजन की व्यवस्था विधायक कर रहे हैं. विधायक के शिविर में भोजन पकना अभी शुरू हुआ था. बड़े लोग तो भूख सह रहे थे. लेकिन मासूम बच्चों का भूख से बुरा हाल था. बाहर से बाढ़ कटान देखने आने वाले लोग उन्हें बिस्कुट, चॉकलेट आदि दे रहे थे. उधर, पशु चिकित्सा शिविर से बताया गया कि भूसा की व्यवस्था की जा रही है. ठेकेदार अभी बैरिया में भूसा ट्रैक्टर पर लदवा रहा है.