श्रीकृष्ण-रुक्मणी विवाह का हुआ सजीव मंचन

श्रीमन्नारायण की कृपा के लिए भक्ति की नितांत आवश्यकता-वासुदेवाचार्य
श्रीकृष्ण-रुक्मणी विवाह का हुआ सजीव मंचन

बलिया. जगत नियंता भगवान श्रीमन्नारायण समस्त जगत का पालन व उद्धार करते हैं. संसार को उत्पन्न करना, उसका पालन करना, उसे समेट लेना ही भगवान का काम है. ब्रह्मा जी को भी भगवान ने अपने नाभि से उत्पन्न किए हैं. प्रभु की कृपा के लिए भक्ति की नितांत आवश्यकता होती है.
उक्त बातें क्षेत्र के नगवा में हो रहे श्रीमद् भागवत सप्ताह महापुराण ज्ञान-यज्ञ के छठे दिन प्रवचन करते हुए भारत के महान मनीषी संत श्री त्रिदंडी स्वामी जी महाराज के कृपापात्र वासुदेवाचार्य “विद्या भास्कर” स्वामी जी महाराज ने कही.
उद्धव और गोपियों के संवाद प्रसंग की कथा सुनाते हुए स्वामी ने कहा कि उद्धव और गोपियों का संवाद प्रेम की पराकाष्ठा का संवाद है. उसमें प्रेम में देने का ही अभ्यास है, लेने का नहीं.

उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण की दिव्य महारास लीला इतनी भव्य है कि भोलेनाथ उनके बाल स्वरूप के दर्शन करने गोकुल पहुंच गए.
महारास लीला में ही जीव का परमात्मा से मिलन हुआ.
कथा के दौरान श्रीकृष्ण रुक्मणी विवाह का मंचन किया गया. उपस्थित श्रद्धालुओं ने पुष्प वर्षा से स्वागत किया, वहीं महिलाओं ने विवाह के मंगल गीत गाईं.
इस मौके पर यज्ञ के मुख्य यजमान पं० शिवजी पाठक इंजीनियर भगवती शरण पाठक व इंदु पाठक, डॉ ० जय गणेश चौबे, चंद्रप्रकाश पाठक, जवाहरलाल पाठक, भुवनेश्वर पासवान, विमल पाठक, गणेशजी सिंह, अखिलेश चौबे, जितेंद्र उपाध्याय, सुशील शुक्ला,गोदावरी शुक्ला, राकेश पाठक, अवध किशोर पाठक, कुलदीप दुबे, विनोद गुप्ता, खन्नू पाठक, जागेश्वर मितवा, बच्चन गुप्ता, यज्ञ किशोर पाठक, बृज किशोर पाठक, अजीत पाठक, नरेंद्र पांडेय, रविशंकर पाठक, शिवनाथ यादव, मुन्नीलाल पासवान डॉक्टर संजीव कुमार पाठक, डॉक्टर अमित पाठक,राजू, अमृतांशु पाठक, दीपक पाठक, शुभम, शिवम, मोहन, बाला कृष्णा आदू पांडेय आदि मौजूद रहे.
बलिया से केके पाठक की रिपोर्ट

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