
गाजीपुर से विकास राय
गाजीपुर जनपद के जमानियां तहसील के दिलदार नगर जंक्शन पर प्लेटफार्म नम्बर 3 और 4 के मध्य में विराजमान लोक आस्था की प्रतीक मां शायर के दर्शन पूजन के लिए यूं तो भक्तों के आने जाने का क्रम पूरे वर्ष भर निरन्तर लगा रहता है, लेकिन नवरात्र में यहां आने वाले भक्तों की संख्या ज्यादा हो जाती है.
लोग यहां आकर अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए मन्नते मांगते है तो बहुत से लोग अपनी मन्नतें पूरी होने के बाद दर्शन पूजन करने आते हैं. यूपी बिहार बंगाल एवं दूर दराज से लाखों श्रद्धालु मां शायर के दर पर मत्था टेकने के लिए आते है और मां उनके दरबार में अपनी हाजिरी दर्ज कराते हैं. जनश्रुतियों के अनुसार वर्ष 1870 के करीब दिलदार नगर जक्शन पर प्लेटफार्म नम्बर 4 के लिए पटरी बिछाने का कार्य प्रारम्भ किया गया. इस कार्य को कराने की जिम्मेदारी चीफ इंजीनियर प्लेटीनर को दी गयी थी. इस नई पटरी को बिछाने के लिए जब मजदूर झाड झंखाड़ को साफ कर रहे थे तो उन्होंने एक विशाल नीम के पेड़ के नींचे एक पिंडी दिखाई दी. मजदूरों ने इसकी जानकारी इंजीनियर प्लेटीनर को दी. इंजीनियर ने मजदूरों को पेड़ काटने और पिंडी को हटाने का आदेश दिया. काम कर रहे सभी मजदूरों ने ऐसा करने से साफ साफ मना कर दिया. इंजीनियर प्लेटीनर ने दूसरे मजदूरों से पेड़ कटवा दिया.
मान्यता है की पेड़ पर कुल्हाड़ी की पहली चोट लगते ही नीम के पेड़ से रक्त जैसा तरल पदार्थ निकलने लगा था. इसके बाद ही पेड़ काटने वाले सभी मजदूरों और इंजीनियर के पांच वर्ष के पुत्र की मौत हो गयी थी. इंजीनियर के पांच वर्षीय पुत्र का मकबरा आज भी पी डब्ल्यूआइ के बंगले में मौजूद है. ट्रैक बिछाने के काम में तरह तरह की रूकावटे आने लगी. मजदूर पिंडी को हटाकर जितना पटरी बिछाते थे, दूसरे दिन वह जस का तस हो जाता था. तत्कालीन धर्म गुरुओं की सलाह पर इंजिनियर ने पीडब्ल्यूआइ परिसर में माता के लिए एक मंदिर का निर्माण कराया, जो बाद में उपेक्षित हो गया.
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इंजीनियर प्लेटीनर भी बीमार हो गया तो उनकी पत्नी ने माता शायर से अनुनय विनय करते हुए माफी मांगी और अपने पति के स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करते हुए पिंडी मिलने के स्थान पर ही शायर माता का चौरा बनवाया. तब जाकर उसके इंजीनियर पति का प्राण बचा और ट्रैक बिछाने का कार्य सुचारू रूप से सम्पन्न हो गया. आज भी मुगलसराय दानापुर रेलखंड के दिलदार नगर जंक्शन पर दो रेल ट्रैकों के मध्य ममतामयी शायर मां का मंदिर विराजमान है. मान्यता है की माता शायर के चौखट पर भक्तों के द्वारा सच्चे मन से मांगी गयी हर मुराद शायर मां की कृपा से अवश्य पूरी होती है. भक्त अपनी मुराद पूरी होने पर मां के मंदिर में घंटी बांधते है और मंदिर के फर्श में चांदी का सिक्का जडवाते है.