


जयप्रकाशनगर बलिया से लवकुश सिंह
आज एक तरफ विजयी दशमी का मेला था, वहीं दूसरी ओर लोकनायक की जयंती. सुबह आठ बजे ही जयप्रकाशनगर की गलियां-जब तक सुरज चांद रहेगा, जेपी तेरा नाम रहेगा, के नारों से गुंज उठी. यहां जेपी ट्रस्ट के द्धारा ही संचालित आचार्य नरेंद्र देव बाल विद्या मंदिर के बच्चे और शिक्षक शिक्षिकाओं ने प्रभात फेरी निकाल कर जेपी को याद किया. यह प्रभात फेरी गांव का भ्रम्रण करने के पश्चात 11 बजे जेपी स्मारक पर पहुंची. वहां 11:30 बजे इस ट्रस्ट के सचिव सह एमएलसी रविशंकर सिंह पप्पू, बलिया के सांसद भरत सिंह ने सुयुक्त रूप से पहले जेपी की प्रतिमा पर माल्यापर्ण किया. इसके उपरांत इस गांव के प्रधान प्रतिनिधि सपा नेता सुर्यभान सिंह, अरविंद सिंह सेंगर, जेपी ट्रस्ट के व्यवस्थापक अशोक कुमार सिंह, रणजीत चौधरी, प्रेमशंकर सिंह, रामेश्वर सिंह, जेपी इंटर कालेज के शिक्षक विनोद सिंह, राजेश सिंह आदि सहित सैकड़ों स्थानीय लोगों ने भी जेपी को पुष्प अर्पित किया. सभी आगंतुकों ने जेपी स्मारक पर बच्चों द्धारा आयोजित परेड का भी अवलोकन किया. वहीं पर सभी बच्चों में मिष्ठान भी वितरित किया गया.

लाला टोला में सांसद मस्त और भरत ने किया जेपी को नमन
बिहार सीमा में सिताबदियारा के लाला टोला में जहां केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय स्मारक बनाने की घोषणा की है, वहां जयप्रभा फाउंडेशन के अध्यक्ष सह भदोही के सांसद बीरेंद्र सिंह मस्त, व सांसद भरत सिंह ने संयुक्त रूप से जेपी की प्रतिमा पर माल्यापर्ण कर जेपी को नमन किया. इसके अलावा जयप्रभा फाउंडेशन के सचिव आलोक कुमार सिंह, भाजपा से ही विजयबहादुर सिंह, विजय सिंह, रामप्रकाश सिंह, मुरली छपरा के पूर्व ब्लाक प्रमुख कन्हैया सिंह, ब्लाक प्रमुख प्रतिनिधि चैतनाथ, रामेश्वर सिंह,जितेंद्र पांडेय, हेमंत पाठक, देवेंद्र सिंह, नंदजी सिंह, राकेश सिंह आदि सहित सैकड़ो लोगों ने जेपी को नमन किया.


जयप्रकाश नारायण वह नाम है, जो कभी नहीं झुका
लोकनायक जयप्रकाश नारायण वह नाम है, जो कभी नहीं झुका. आजादी के पहले या आजादी के बाद, जेपी आजीवन देश की बेहतर व्यवस्था के लिए ही लड़ते रहे. अन्याय के खिलाफ आजाद भारत के सबसे बड़े जनांदोलन के प्रतीक पुरूष रहे जेपी ने सत्ता की कुर्सी से दूर रहकर भी जो अलख जगाया, वह आज भी इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों में अंकित है. यह बातें लाला टोला में जेपी शोध संस्थान के सचिव शशि भूषण सिंह ने कही. वह दिल्ली से दो दिन की यात्रा पर सिताबदियारा आए थे. कहा कि आज लोग कुर्सी के लिए किसी भी स्तर तक जाने को तैयार हैं, किंतु इसी सिताबदियारा के जेपी इस बात के स्पष्ट उदाहरण हैं कि जो लोग सत्ता से दूर रहे, वह ही देश और समाज में पूजे गए. वह सुनों भविष्य पुकार रहा, वह दलित देश का त्राता है, सपनों का द्रष्टा जयप्रकाश, भारत का भाग्य विधाता है. राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर ने आजादी के पहले ही जयप्रकाश को भारत के भाग्य-विधाता के रूप में देखा था. इसी शक्ति ने उन्हें बाद में लोकनायक के रूप में स्थापित किया. उसी महानायक की जयंती पर नमन करते हुए, मुझे गर्व हो रहा है.
मा नीरज शेखर जी नहीं आये थे क्या
Bahut sunder programme raha.