बलिया। भारतेन्दु सत्संग मंच मेला ददरी में चतुर्थ दिवसीय सत्संग के तीसरे दिन पं. विजय नारायण शरण जी ने कहा कि घोर कलियुग में माया रूपी चक्की में पीसने से बचने के लिए एक मात्र कील रूपी हरि के शरण में जाना पड़ेगा, जैसे की कबीर बाबा का दोहा चलती चक्की देखकर दिया कबिरा रोय, दो पाटन के बीच में, साबुत बचा न कोय, वहीं पर कमाल जी का दोहा मिलता है चलती चक्की देखकर हंसा कमाल उठाय.
कील शरण में जो रहे वो कैसे पीस जाय , कथा व्यास ने बताया कि श्रीराम, श्रीकृष्ण नारायण के शरण में जो रहे हैं अथवा जो रहेंगे. उसको माया कभी भी बिगाड़ नहीं सकती. उदाहरण के तौर पर प्रह्लाद जी विभिषण जी, सुग्रीव जी, पांचों पाण्डव, नरसी जी, तुलसीदास जी मीरा जी की वाल्मीकि जी इत्यादि जो की भक्तजन अनन्य भाव से कील रूपी हरि के शरण में रहे उनकी माया रूपी चक्की ने न कभी बिगाड़ा है न बिगाड़ पाएगी.