गुरु पूर्णिमा विशेष : अज्ञानता दूर करने वाला ही गुरु- विद्यार्थी

दुबहर, बलिया. जो हमें अज्ञान से ज्ञान की ओर, अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ाए वही गुरु है. गुरु शरीर नहीं, ज्ञान है. इनके ज्ञान से मानव जीवन में निखार आता है. भारतीय संस्कृति में गुरु को ईश्वर से भी ऊंचा स्थान प्रदान किया गया है. गुरु पूर्णिमा की पूर्व संध्या पर यह बातें सामाजिक चिंतक बब्बन विद्यार्थी ने अखार ढाला स्थित मीडिया सेंटर पर पत्रकारों से बातचीत में कही.


उन्होंने कहा कि गुरु और शिष्य का नाता साधारण सांसारिक नाता नहीं बल्कि पूर्णरूपेण आत्मिक व आध्यात्मिक नाता है. आध्यात्मिक शिक्षा भ्रष्ट और बेईमान होने से रोकती है. कहा कि सद्गुरु नाव में बैठे नाविक के समान है जो अपने तरीके से इंसान को जीवन रूपी नाव में बैठा कर, यानी ब्रह्म ज्ञान देकर इस किनारे से उस पार पहुंचा देता है. सद्गुरु जीवन जीने की कला सिखाता है. इनके मुख से निकला एक- एक शब्द ब्रह्म वाक्य होता है. ज्ञान ले लेना ही नहीं, ज्ञान के अनुसार कर्म करना भी जरूरी है. इस मौके पर विश्वनाथ पांडे, गोविंद पाठक, डॉ० सुरेशचंद्र प्रसाद, बलदेव पाठक मौजूद रहे.


(दुबहर से कृष्णकांत पाठक की रिपोर्ट)

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