सार्वजनिक रूप से काटे जा रहे हरे पेड़ पुलिस एवं वन विभाग उदासीन
दुबहर, बलिया. स्थानीय थाना क्षेत्र इन दिनों वन माफियाओं के चंगुल में पूरी तरह जकड़ा हुआ है. दोपहर होते ही वन माफिया इलेक्ट्रिक आरी के द्वारा बड़े से बड़े पेड़ को भी काट कर कुछ मिनट में गिरा दे रहे हैं. चिलचिलाती धूप एवं गर्मी में ग्रामीण जन अपने-अपने घरों में कैद हैं.
तब तक इन लकड़ी काटने वालों के द्वारा टहनियां एवं तना छोटे-छोटे टुकड़ों में कर दिए जा रहे हैं. एक तरफ सरकार एवं जनमानस गर्मी के बढ़ते स्वरूप एवं रौद्र रूप को देखते हुए विचलित हैं. धरती के तापक्रम को बढ़ने से बचाने के लिए वृक्षारोपण कर रही है .
वहीं दूसरी तरफ क्षेत्र में पौधे की कटाई धड़ल्ले से जारी है.
इन कटाई करने वालों के ऊपर किसी भी विभाग का दबाव या निरीक्षण नहीं है. इसका स्पष्ट एवं जीता जागता उदाहरण आदर्श सांसद गांव ओझवालिया की सड़के है. जिसके दोनों तरफ हरे भरे पेड़ हुआ करते थे.
इस गांव को विकसित करने के लिए सरकार के हर विभागों के द्वारा ग्राम सभा में कार्य किए गए वृक्ष लगाए गए जिन्हें काटकर वन माफिया वीरान बनाने पर आतुर हुए हैं. जिन गांव में दबंग किस्म के व्यक्ति हैं वहां उन दबंगों को वन माफिया कुछ पैसे दे देते हैं और वही दबंग अब इन कटी हुई लकड़ियों की चौकीदारी करते हैं. प्रकृति एवं जनहित से जुड़े इस मामले में लोग पुलिस एवं वन विभाग के प्रति नाराज दिख रहे हैं. सार्वजनिक क्षेत्र में जिला प्रशासन का ध्यान आकृष्ट है.
बलिया से केके पाठक की रिपोर्ट