‘सीमेन सॉर्टिंग’ तकनीक से एक्स क्रोमोसोम की अधिकता वाले स्पर्म को कृत्रिम गर्भाधान में इस्तेमाल करके मादा बच्चे के जन्म की संभावना 95 फीसदी तक बढ़ाया जा सकता है. सीमेन-सॉर्टिंग’ या ‘सेक्स्ड सीमेन’ तकनीक में सीमेन (वीर्य) से भ्रूण के लिंग निर्धारण के लिए जिम्मेदार स्पर्म्स (शुक्राणुओं) को अलग किया जाता है. इसके बाद सीमेन से एक्स और वाई क्रोमोसोम्स (गुणसूत्र) की अधिकता वाले स्पर्म्स को अलग कर लिया जाता है. स्तनपायी जीवों में भ्रूण का नर या मादा होना एक्स और वाई क्रोमोसोम से ही निर्धारित होता है. बलिया से कृष्णकांत पाठक
आने वाले दिनों में यूपी की गायें बछड़ों को जन्म देने के बजाय बछिया को जन्म देंगी. इसके लिए राज्य सरकार ने रशियन कम्पनी के साथ अनुबंधन करके गायों की नस्ल को बदलने का अभियान शुरू करने जा रही है. गोवंश की रक्षा हेतु और किसानों की आय बढ़ाने के लिए योजना तैयार कर ली गई है.
बाबूबेल गायघाट के प्रभारी एवं बसुधरपाह के पशु चिकित्साधिकारी डॉ.आईए सिद्दीकी ने बताया कि किसानों की आय दोगुनी करने के लिए व्यापक रणनीति बनाई गई है. गाय की नस्ल सुधारने का भी किसानों की आमदनी बढ़ाने की सरकार का रणनीति का हिस्सा है. गाय की नस्ल पर ठीक तरीके से ध्यान न दिये जाने का भी नतीजा है. आज राज्य की गायें ज्यादातर बछड़ों को जन्म दे रही है. खेती में आधुनिक तकनीकी के चलते बछड़ों की उपयोगिता खत्म हो गई है. रशियन कम्पनी राज्य में गोवंश की नस्ल को बदलने का काम करेगी. इस प्रयोग के बाद यहां की गायें ज्यादातर बछियों को जन्म देगी.
भारत कृषि प्रधान देश है. कृषि एवं पशुपालन एक दूसरे के पूरक हैं, तथा सदियों से हमारे पूर्वज कृषि के साथ-साथ पशुपालन करते आये हैं. देश में प्रगति के लिए कृषि कार्य यंत्रों ने ले ली. हमारी गाय, भैंसों से पैदा होने वाले नर पशु की उपयोगिता खत्म होने के कारण लोग नर पशुओं को छुट्टा छोड़ने लगे हैं. छुट्टा जानवरों से एक विकराल समस्या उत्पन्न होने लगी है.
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बाबूबेल गायघाट के प्रभारी एवं बसुधरपाह के पशु चिकित्साधिकारी डॉ.आईए सिद्दीकी ने बताया कि इस समस्या से निपटने के लिए वैज्ञानिकों ने ‘सेक्स्ड सीमेन, सॉर्टेड सीमेन’ का अविष्कार किया. उक्त सीमेन से केवल मादा संतति की उत्पत्ति होती है. छुट्टा छोड़ दिये जाने वाले नर पशुओं की समस्या सॉर्टेड सीमेन, सेक्स्ड सीमेन से पशुपालकों की समस्या का समाधान हो सकेगा. मुख्यमंत्री योगी योगी आदित्य नाथ ने 21 फरवरी 2018 को यूपी इन्वेस्टर समिट में रूस से सेक्स्ड सीमेन आपूर्ति हेतु करार किया है. जल्द ही सभी सरकारी पशु चिकित्सालयों में उक्त सीमेन उपलब्ध होगा, जिससे छुट्टा जानवरों की समस्या से निपटा जा सकेगा.
गोवंशीय पशुओं में वर्गीकृत सेक्स्ड सीमेन का उपयोग
उप्र 70 प्रतिशत जनसंख्या कृषि एवं पशुपालन पर निर्भर है, तथा पशुओं को अधिकतम संख्या इसी प्रदेश में पायी जाती है. प्रदेश में कुल 205.66 लाख गोवंशीय पशु हैं. जिनमें विदेशी एचएफ एवं जर्सी नस्ल व वर्णशंकर पशुओं की संख्या 35.79 लाख है. ‘पशुगणना 2012′ के अनुसार प्रदेश में वर्णशंकर गोवंशीय पशुओं की औसत दुग्ध उत्पादन क्षमता 7.0 लीटर प्रतिदिन है. जो कि अत्यंत न्यून है. पशुधन के विकास में कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम को सर्वत्र एवं महत्वपूर्ण तकनीक के रूप में स्वीकार किया गया तथा प्रदेश में इस तकनीकी का व्यापक उपयोग गाय, भैंसों के विकास में सफलतापूर्वक किया जा रहा है. विगत वर्षो में कुछ प्रदेशों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में कृत्रिम गर्भाधान वर्गीकृत वीर्य स्ट्राज से कराकर गोवंशीय मादा सतंतियों को उत्पन्न किया जा रहा है. उप्र में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में वर्गीकृत वीर्य के उपयोग से वर्ण संकर गोवंशीय सतंतियों की संख्या व दुग्ध उत्पादन क्षमता में आशातीत वृद्धि की जा सकेगी.
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