वाराणसी। कल देवताओ संग होली खेलने के बाद आज चिता की राख से महा श्मसान पर नाराज भूत-पिचाश से भी होली खेल रंगभरी एकादशी का समापन हुआ.
मान्यता है कि रंगभरी एकादशी पर बाबा भोले शंकर गौरा को गौना ले आते हैं. नेग में काशीवासियों को होली और हुड़दंग की अनुमति दे कर निहाल कर जाते हैं. भावों से ही प्रसन्न हो जाने वाले औघड़दानी रस्मो रिवाज से खाली हो दूसरे दिन दोपहर में भस्मी धारण करने पुन: मणिकर्णिका घाट आते हैं. इस भस्मी को गणों पर उड़ाकर उनके उल्लास में शामिल हो जाते हैं.
परंपरा के अनुसार महाश्मसाननाथ का खड़ी दोपहरी में श्रृंगार किया गया और आरती उतारी गई. इसके साथ ही शुरू हुई अनूठी होली जो देसी-विदेशी पर्यटकों को दंग करने के साथ ही उनमें उमंग का संचार भी कर गई. अबीर-गुलाल संग चिता भस्म एकाकार हुई और होली के गीत गूंज उठे. बाबा महाश्मसाननाथ मंदिर के व्यवस्थापक गुलशन कपूर के नेतृत्व में भक्त समूह घंटों इस अनूठे अनुष्ठान में डुबकी लगाता और भोले बाबा के नाम जश्न मनाता रहा. (फोटो साभार Apni Kashi)