लखनऊ। विज्ञान फिल्म पर पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग, ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती उर्दू, अरबी-फारसी विश्वविद्यालय और विज्ञान प्रसार, डीएसटी, भारत सरकार द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित राष्ट्रीय स्तर की कार्यशाला का समापन सत्र आज सम्पन्न हुआ. प्रो. एके शर्मा, निदेशक, इंस्टीट्यूट आफ मास कम्यूनिकेशनइन साइंस एण्ड टेक्नालोजी, लखनऊ विश्वविद्यालय इस सत्र के मुख्य अतिथि रहे एवं वीके जोशी वरिष्ठ विज्ञान संचारक एवं पूर्व भूवैज्ञानिक, जीएसआई, लखनऊ विशिष्ट अतिथि के रूप में सम्मिलित हुए. इस तीन दिवसीय कार्यशाला का उद्देश्य पत्रकारिता के छात्रों और उससे जुड़े व्यवसायों के बीच एक बेहतर विज्ञान संचार कौशल विकसित करना था.
कार्यशाला के दौरान छात्रों ने मतीउर्रहमान एवं पूनम चौरसिया के कुशल मार्गदर्शन में विज्ञान विषयों पर केन्द्रित विज्ञान फिल्म बनाने की व्याकरण और तकनीक को सीखा, जो एक गुणवत्तापरक विज्ञान फिल्म बनाने के लिए आवश्यक है. इस कार्यशाला में भाग लेने वाले छात्रों ने ‘प्रकृति की सुंदरता’, ‘गो कैशलेस’, ‘साइंस इन आर्किटेक्चर’, ‘बायोडायवर्सिटी’, ‘ए हेट लव डिसोनेन्स’ जैसे विषयों पर शार्ट फिल्म भी बनाई.
कार्यशाला के रिसोर्स पर्सन मतीउर्रहमान ने तकनीकी सत्र के दौरान छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि विज्ञान संचार आम जनमानस तक संदेश को व्यापक रूप से पहुंचाने के लिए अतिमहत्वपूर्ण है. उन्होंने यह भी बताया कि कार्यशाला के दौरान प्रासंगिक वैज्ञानिक सामग्री की पहचान करना और एक व्यापक और आकर्षक तरीके से सामग्री की संरचना करना सिखाने का प्रयास किया गया है. मुख्य अतिथि के रूप में कार्यशाला को सम्बोधित करते हुये प्रो. एके शर्मा ने विज्ञान संचार और विशेष रूप से स्वास्थ्य संचार में इसकी भूमिका की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने कहा कि लोग अक्सर जानकारी, जागरूकता और प्रभावी संचार के अभाव में स्वास्थ्य सम्बंधी मुद्दों पर भ्रमित हो जाते हैं तथा जागरूकता से इस क्षेत्र में काफी काम किए जा सकते हैं.
अपने भाषण में, वीके जोशी ने पर्यावरण क्षरण के विभिन्न मुद्दों पर अपनी बात रखी और जैव विविधता संरक्षण में सकारात्मक योगदान करने के लिए सभी से आग्रह किया. उन्होंने कहा कि पर्यावरण प्रदूषण, कार्बन उत्सर्जन जैसे पॉलिथीन बैग का उपयोग के कारण जलाशयों पर पड़े हानिकारक प्रभाव जैसे कई मुद्दों को प्रभावी संचार के कारण सार्वजनिक बहस के मंच पर लाया गया है.
तीन दिवसीय कार्यशाला की गतिविधियों का संक्षेप में वर्णन करते हुये निमीश कपूर, वैज्ञानिक ‘ई’ एवं प्रभारी साइंस फिल्म प्रभाग, विज्ञान प्रसार, डीएसटी, भारत सरकार ने कहा कि अधिकतर मीडिया संस्थान विज्ञान संचार में विशेष प्रशिक्षण प्रदान नहीं करते हैं. यह कार्यशालायें उनके लिये लर्निंग सप्लीमेंट और विज्ञान संचार और फिल्मांकन में प्रशिक्षित करने का एक उपयोगी स्रोत हैं. धन्यवाद ज्ञापन कार्यशाला समन्वयक रूचिता सुजय चौधरी द्वारा दिया गया तथा डॉ. तनु डंग सह समन्वयक ने कार्यशाला का संचालन किया. इस तीन दिवसीय कार्यशाला में उत्तर प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से 50 से अधिक प्रतिभागी सम्मिलित हुए.