सिकंदरपुर (बलिया) । मौसम की अनिश्चितता इलाकाई किसानों पर भारी पड़ने लगा है. इसी के साथ सिंचाई के सरकारी संसाधनों की दगा ने उनकी सांसे फुला कर रख दिया है.
खरीफ की प्रमुख धान पानी की फसल है. पर्याप्त पानी की व्यवस्था पर ही इस फसल के सभी काम और अच्छी पैदावार संभव है, जबकि जारी मौसम में अब तक यहां एक ही अच्छी बारिश हो पाई है, वह भी करीब एक माह पूर्व. इस दौरान पानी के अभाव में नहरों से जहां धूल उड़ रहा है. वही इलाके के काफी संख्या में सरकारी नलकूप विभिन्न कमियों के चलते ठप पड़े हुए हैं. ऐसी स्थिति में पानी के अभाव में धान की बुवाई हेतु डाले गए बेहन में ग्रोथ संभव नहीं हो पा रहा है. वहीं तैयार बेहन की खेतों में रोपाई नहीं हो पा रही है.
संपन्न किसान तो अपनी व्यवस्था पर रोपाई का काम शुरू कर दिए हैं, जबकि अधिकांश संसाधन और बारिश के अभाव में हाथ पर हाथ रखे बैठे हैं. इस दौरान गाहे-बगाहे आसमान पर बदली छा रही है, अच्छी बारिश होने की लोगों में आस जग रही है. जब लोगों को ललचाकर अचानक तेज हवा के झोंकों के साथ बदली कहीं दूर उड़ कर चली जा रही है. कभी-कभी बूंदाबादी अवश्य हो रही है, जो न तो लोगों को भीषण गर्मी से राहत दिलाने में मददगार साबित हो रही है, न ही उससे धान की रोपाई संभव हो पा रही है.