भिखारी ठाकुर बहुआयामी प्रतिभा के धनी थे. वह एक लोक कलाकार के साथ कवि, गीतकार, नाटककार, नाट्य निर्देशक, लोक संगीतकार और अभिनेता थे. उनकी मातृभाषा भोजपुरी थी और उन्होंने भोजपुरी को ही अपने काव्य और नाटक की भाषा बनाया. उनकी प्रतिभा का आलम यह था कि महापंडित राहुल सांकृत्यायन ने उनको ‘अनगढ़ हीरा’ कहा, तो जगदीशचंद्र माथुर ने कहा ‘भरत मुनि की परंपरा का कलाकार’. भोजपुरी के लोकचितेरा कवि, नाटककार, समाज सुधारक भिखारी ठाकुर की पुण्यतिथि पर बलिया लाइव की विशेष प्रस्तुति
चीथड़ों में गुजर बसर कर रहे हैं भिखारी ठाकुर के परिजन
भोजपुरी लोकधुन लहरों के राजहंस भिखारी ठाकुर
साहित्य के पुरोधा के गांव को तारणहार का इंतजार