
बलिया। शहर के मोहल्ला बिशुनीपुर स्थित स्व. मुनीर हसन जैदी साहब के इमाम बार गाह से गत वर्षों की तरह 25 सफर को अपरान्ह चेहल्लुम के अवसर पर अंजमुन हाशिमियां के तत्वावधान में जैसे ही तबरूकात बरामद हुए, वैसे ही लोगो की आंखे आंसुओं से भर गईं. लोग शोहदाए कर्बला इमाम हुसैन और उनकी आलव साथियों पर हुए अमानवीय जुल्म की कहानियां सुनकर सीना जनी (मातम) करने लगे. इस दौरान इमाम बारगाह से जुजेनाह, आलम, ताबूत, ताजिये, शीरखार (दुधमुंहे) अली असगर का झूला आदि शबीहों के साथ ऊंटों पर अमारीयां बरामद हुई. सैकड़ों लोग जियारत के लिए उमड़ पड़े.
इसके पूर्व इस इमाम बारगाह मे मजलिसे अजा बरपा हुई, जिसका आगाज शायरे अहले बैत डॉ. सलीस हैदर, अली जैदी के सोजो-सलाम से हुआ. मजलिस को खिताब करते हुए बाराबंकी जनपद के जरगायां से आए आली जनबा मौलाना सैयद सबी अकबर ने करबला के मैदान में शहीद हुए 71 शोहदाए कर्बला के मसायब एक-एक करके पेश किया. मोमेनिन को खिताब करते हुए उन्होंने कहा कि यौमे आशूरा के दिन इमाम उनके खानदान और उनके साथियों ने कर्बला के मैदान में हक को बचाने के लिए जामे शहादत पीया.
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जुलूस अपने पूर्व निर्धारित मार्गों से होत हुआ शिया जामा मस्जिद पंहुंचकर सलाम के बाद वंडर किया गया. जुलूस को नेतृत्व अंजुमन के सदर शहनशाह हुसैन जैदी ने किया. इस अवसर पर रविश हैदर, रूबिल हैदर, मोहासिन रजा, हसरत, जैनुल भाई आदि मौजूद रहे. अंजुमन के सदर शहनशाह जैदी ने पुलिस प्रशासन और सहयोगियों के प्रति आभार व्यक्त किया.