दो दिवसीय संगोष्ठी का समापन
रेवती (बलिया)। गोपाल जी स्नातकोत्तर महाविद्यालय के शिक्षा संकाय प्रांगण में राष्ट्रीय एवं शिक्षा, चुनौतियां एवं अवसर नामक दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन बुधवार को महात्मा गांधी काशी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो.केपी पाण्डेय ने मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलन के साथ किया. प्रो.पाण्डेय ने कहा कि शिक्षा रूपांतरण की प्रक्रिया है. जो व्यवस्था, तकदीर तथा तस्वीर आदि को बदल देती है.
उन्होने कहा कि विद्या दो तरह की होती है. परा विद्या तथा अपरा विद्या. इसी तरह तनाव भी दो तरह का होता है. एक ग्लोबल तथा दूसरा लोकल. हमारे ऋषि मुनियों ने ग्लोबलाइजेशन का कार्य किया था.
कहा कि समझदारी व भागीदारी से जिम्मेदारी का निर्माण होता है,और तीनों को मिलाकर इमानदारी बनती है. यह चारों देश के निर्माण में सहायक है. जाति, धर्म, मजहब को दरकिनार करने का असली मार्ग शिक्षा ही है. आज विद्यार्थी एवं शिक्षक आमने सामने हैं. जैसा कि जेएनयू में हुआ दुर्भाग्यपूर्ण है. कहा कि व्यक्ति को उसके विकास को शिखर तक पहुंचाना शिक्षा का कार्य है.
सिंघानिया विश्वविद्यालय राजस्थान के पूर्व कुलपति डा. एके सिंह ने कहा कि अगर आप में विश्वास एवं आस्था है, तो आप जीवन के किसी भी ऊंचाई को पाने में सक्षम है. ऊंचाइयों को पाने के लिए शिक्षा नितांत आवश्यक है. प्रकृति हमारी पाठशाला, समय हमारा गुरु तथा अनुभव हमारी शिक्षा है. हमें अपने आप पर भरोसा करना होगा. तभी हम सफलता प्राप्त करेंगे.
प्राचार्य डा. साधना श्रीवास्तव ने नास्ति विद्या समं चक्षुः का विस्तार से वर्णन किया. डा.धीरू तिवारी ने कृषि क्षेत्र में शिक्षा, चुनौतियां तथा अवसर के विषय में बताया. सेमिनार के दौरान 220 शोध पत्र प्रस्तुत किया गया. इस अवसर पर डॉ. विनोद कुमार यादव, प्रोफेसर धनंजय राय, अजीत श्रीवास्तव, उमाशंकर मिश्र, मधुलिका यादव, संतोष सिंह, बिन्दु तिवारी आदि रहे. अध्यक्षता प्रो. केपी पाण्डेय एवं संचालन राकेश वर्मा ने किया. प्रबंधक डॉ अशोक कुमार श्रीवास्तव एवं शिक्षा संकाय प्रमुख संतोष कुमार यादव ने संयुक्त रुप से आगंतुकों के प्रति आभार प्रकट किया.