
साठोत्तरी दशक में पारिवारिक, सामाजिक, आर्थिक, नैतिक एवं मानसिक सभी क्षेत्रों में उत्पन्न विसंगतियों को अपनी कहानियों में उकेरनेवाले हमारे समय के वरिष्ठ कथाकार, कवि दूधनाथ सिंह जी को उनके अस्सीवीं सालगिरह की अनंत व अशेष मंगलकामनाएं! दूधनाथ सिंह जी आज तक अकादमी सम्मान क्यूं नहीं दिया गया एक महत्त्वपूर्ण सवाल है? – नवनीत पांडेय (जाने माने कवि व लेखक)
परिचय – दूधनाथ सिंह
जन्म : 17 अक्टूबर 1936 , सोबंथा, बलिया, उत्तर प्रदेश
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विधाएं : उपन्यास, कहानी, नाटक, संस्मरण, कविता, आलोचना
मुख्य कृतियां
उपन्यास : आखिरी कलाम, निष्कासन, नमो अंधकारम्
कहानी संग्रह : सपाट चेहरे वाला आदमी, सुखांत, प्रेमकथा का अंत न कोई, माई का शोकगीत, धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे, तू फू, कथा समग्र
कविता संग्रह : अगली शताब्दी के नाम, एक और भी आदमी है, युवा खुशबू, सुरंग से लौटते हुए (लंबी कविता)
नाटक : यमगाथा
आलोचना : निराला : आत्महंता आस्था, महादेवी, मुक्तिबोध : साहित्य में नई प्रवृत्तियां
संस्मरण : लौट आ ओ धार
साक्षात्कार : कहा-सुनी
संपादन : तारापथ (सुमित्रानंदन पंत की कविताओं का चयन), एक शमशेर भी है, दो शरण (निराला की भक्ति कविताएं), भुवनेश्वर समग्र, पक्षधर (पत्रिका – आपात काल के दौरान एक अंक का संपादन, जिसे सरकार द्वारा जब्त कर लिया गया)
सम्मान
भारतेंदु सम्मान, शरद जोशी स्मृति सम्मान, कथाक्रम सम्मान, साहित्य भूषण सम्मान