मझौवां (बलिया): कल तक जहां लोगों का कलरव था, आज वहां वीरानी छाई हुई है. जहां गांव के बाग-बगीचों में कोयल की आवाज मिलती थी, वहां गीदड़ों और सियारों का साम्राज्य है.
जहां बच्चों की किलकारियां और कबड्डी, वालीबाल, फुटबाल खेलते युवक होते थे, वहां सूनापन पसरा है. यह हाल है द्वाबा के गंगा के कटान से गंगा में विलीन हुए दर्जनों गांवों का. वहीं आधा दर्जन से ज्यादा गांव कभी भी कटान की जद में आ सकते हैं.