अहंकार और ममता की आहुति ही धनुष यज्ञ है: पं. अरविंद

बैरिया (बलिया)। संत सुदिष्ट बाबा के धनुष यज्ञ मेले में चल रहे पांच दिवसीय प्रवचन के चौथे दिन भगवान श्री राम के धनुष यज्ञ का प्रसंग चला. प्रवचनकर्ता पंडित अरविंद तिवारी ने उपस्थित धर्मानुरागी नर-नारियों को बताया कि यज्ञ रूपी हवन कुंड में अहंकार और ममता की आहुति ही धनुष यज्ञ है.

बताए कि धनुष का अभिप्राय अहंकार और यज्ञ का अभिप्राय आहुति है. ईश्वरीय कृपा से राजा जनक के दरबार में भगवान श्रीराम ने भगवान शंकर के धनुष को भंग किया. जिसका अभिप्राय है कि विधि के अनुसार अपने अहंकार की आहुति देना. वहीं जगत जननी माता सीता के प्रति राजा जनक के मन मे अगाध प्रेम था. धनुष यज्ञ के माध्यम से राजा जनक ने अपने ममता का त्याग किया.

इसके पूर्व प्रवचन में प्रवचनकर्ता पंडित अरविंद तिवारी ने सती चरित्र, राजा भानुप्रताप वर्णन, राम जन्म और राम के बाल चरित्र का वर्णन धर्मानुरागियों को विधिवत सुनाया है. प्रवचन के चौथे दिन धनुष यज्ञ में धनुष यज्ञ का प्रसंग सुनने के लिए काफी संख्या में श्रद्धालु उमड़ पड़े थे. धनुष भंग से लेकर सीता के विवाह का वर्णन विधिवत सुनाया गया. जिसे सुनकर श्रोता भाव-विभोर हुए. प्रवचन के शुरुआत में पूर्व प्रधान गौरी शंकर प्रसाद गुप्त अपने सहयोगी हृदयानंद सिंह राजन सिंह आदि लोगों के साथ पहुंच कर प्रवचनकर्ता को माल्यार्पण कर और व्यासपीठ का विधिवत पूजन कर प्रवचन की शुरूआत कराया.

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