धनबाद से रंजीत चटर्जी
सुरेश सिंह हत्याकांड के मुख्य आरोपी शशि सिंह पर इनाम राशि दुगुना करने का प्रस्ताव धनबाद पुलिस ने डीआईजी को भेजा है. सुरेश सिंह की हत्या 7 दिसंबर 2011 को धनबाद क्लब में की गई थी. सुरेश सिंह के पिता तेज नारायण सिंह उर्फ तेजन सिंह ने रामधीर सिंह, संजीव सिंह और शशि सिंह को इस मामले में आरोपी बनाया था.
पूरे कांड का खुलासा प्रमोद पासवान ने किया
पुलिस ने छानबीन में शशि को मुख्य आरोपी बनाया. वहीं प्रमोद लाला, मनोज सिंह, मोनू सिंह, आलोक को भी हत्याकांड का सहआरोपी बनाया गया. पूरे कांड का खुलासा मौके पर पकड़ा गया प्रमोद पासवान ने किया था. उसने पुलिस को बताया कि शशि सिंह ने सुरेश सिंह को गोली मारी थी. पुलिसिया जांच में रामधीर और संजीव सिंह पर जांच लंबित रखते हुए और शशि को फरार दिखाते हुए कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की गई थी. मालूम हो कि वारदात के बाद से शशि फरार है. उस पर 50 हजार का इनाम रखा गया था. मगर धनबाद से बलिया तक खाक छानने के बाद पुलिस के हाथ कुछ नहीं आया. इसलिए इनाम राशि बढ़ाने की सिफारिश की गई.
इनामियों में नक्सली टॉप पर
धनबाद में अपराधियों में शशि सिंह का नाम पहला है, जिस पर एक लाख रुपए का इनाम रखा जाएगा. भाकपा माओवादी रीजनल कमेटी के सदस्य गिरिडीह निवासी अजय महतो पर 15 लाख और तोपचांची निवासी दुर्योधन महतो पर पांच लाख का इनाम सरकार ने रखा है.
कौन था सुरेश सिंह
- सूर्यदेव सिंह की मौत के बाद धनबाद में कोयले के कारोबार में सुरेश सिंह की तूती बोल रही थी. अपराध की दुनिया पर करीबी नजर रखने वाले कई जानकारों का मानना है कि सूर्यदेव सिंह की मौत के पीछे भी सुरेश सिंह का हाथ था. हालांकि खुलासा यही हुआ था कि हार्ट अटैक के चलते सुर्यदेव सिंह ने दम तोड़ दिया.
- पुलिस थियोरी पर यकीन करे तो एक विवाह समारोह में धनबाद क्लब में नाच गाने का लुत्फ उठा रहे सुरेश सिंह पर तीन लोगों ने गोलियां बरसाईं थी. अस्पताल ले जाने के आधे घंटे के अंदर सुरेश सिंह ने दम तोड़ दिया था. सुरेश सिंह की हत्या के बाद धनबाद में एक बार फिर गैंग वार की आशंका बढ़ गई थी.
- सुरेश सिहं तेजनारायण सिंह के बेटे थे. किसी जमाने में तेज नारायण सिंह स्वयं भारत के पहले कोयला माफिया कहे जाने वाले स्वर्गीय बीपी सिंह के खासमखास बाहुबलियों में से एक हुआ करते थे. बताया जाता है कि सूर्यदेव सिंह ने न सिर्फ बीपी सिंह के अभेद्य किले को ध्वस्त किया, बल्कि धनबाद में उनके वर्चस्व को खत्म कर दिया. एक दौर ऐसा भी आया जब धनबाद के वे बेताज बादशाह माने जाने लगे.
- सुरेश सिंह हमेशा धनबाद में कोयले के कारोबार पर आधिपत्य जमाना चाहते थे. कारण, उन्होंने अपने पिता की आंखों में सूर्यदेव सिंह के हावी होने के बाद की पीड़ा को काफी करीब से महसूस किया था. मालूम हो कि सूर्यदेव सिंह और तेजनारायण सिंह दोनों का बलिया से गहरा वास्ता था.
- सूर्यदेव सिंह की मौत के बाद सुरेश सिंह ने उनके ज्यादातर कारोबार पर कब्जा जमा लिया. धनबाद में वह खुद को सूर्यदेव सिंह के विकल्प के तौर पर पेश किया. यहां तक कि सूर्यदेव सिंह की पत्नी के खिलाफ झरिया से दो बार कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा चुनाव भी लड़ा, हालांकि वे दोनों बार पराजित हुए. पुलिस रिकार्ड पर अगर भरोसा किया जाए तो माना यह जाता है कि सूर्यदेव सिंह के कई खासमखासों को निबटाने में उनका हाथ था.