गाजीपुर। 1000 और 500 रुपये के नोटों पर रोक के बाद बैंकों के बाहर लाइन में लगी जनता की दिक्कत आरबीआई के एक और फैसले से बढ़ सकती है. आरबीआई ने यूपी के सभी कोआपरेटिव बैंक्स यानि सहकारी बैंकों में मंगलवार से 1000 व 500 के नोट लेने पर बैन लग दिया है. आरबीआई के इस ऐलान से गाजीपुर में सैकड़ों ग्रामीण इलाके और कुछ नगरीय इलाके भी प्रभावित होंगे. बताया जा रहा है कि सहकारी बैंकों में राजनीतिक दखल के चलते आरबीआई ने यह फैसला लिया है.
सहकारी बैंकों में 1000 व 500 के नोटों को लेने पर प्रतिबंध लगाने से सबसे अधिक परेशानी किसानों को होगी, क्योंकि इन बैंकों में सबसे ज्यादा खाते किसानों के ही हैं. खेती-किसानी के लिये जरूरी बैंकिंग किसान ज्यादातर सहकारी बैंकों से ही करते हैं. जिला सहकारी बैंक गाजीपुर के चेयरमैन देव प्रकाश सिंह ने बताया कि गाजीपुर में सहकारी बैंकों की कुल 21 शाखाएं हैं. इनसे जिले के सैकड़ों गांव और नगरीय क्षेत्र का एक बड़ा भाग लाभान्वित होता है. चूंकि यह आरबीआई का फैसला है, इसलिए इसका हर हाल में पालन करना होगा.
उन्होंने इसको लेकर केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा. कहा कि यह निर्णय किसान विरोधी है. नोट बंदी से किसानों को सबसे ज्यादा परेशानी हो रही है. किसान जो भी खाद-बीज लेता है, उसके लिए वह सहकारी समितियों पर ही निर्भर रहता है. ऐसे में बुआई के समय पर ऐसा निर्णय किसान विरोधी नहीं है तो और क्या है. किसान को खाद, बीज और पानी की आवश्यकता है, इसके लिए उसे नकद रुपये चाहिये. इसके अभाव में किसान पुराना ऋण जब तक नहीं चुकाएंगे. तब तक उन्हें खाद बीज नहीं मिल पाएगा. सहकारी समितियों का नियम भी यही है कि पुराना ऋण चुकाने के बाद ही नया कर्ज मिलता है. इस समय समितियों पर खाद-बीज पर्याप्त मात्रा में पड़ा हुआ है, पर अब हम 500 और एक हजार का नोट नहीं ले सकते, आरबीआई के फैसले के बाद हम 500 व 1000 रुपये के नोट न लेने के लिए मजबूर हैं. एक और परेशानी यह है कि 2000 का नोट लेने में हमें दिक्कत इस बात की है कि यदि कोई 1100 रुपये या 2000 से कम का खाद-बीज लेते हैं कि तो शेष फुटकर हम कहां से दे पाएंगे. इससे किसानों की समस्या और बढ़ेगी.