बैरिया (बलिया)। युद्धस्तर पर रवि की खेती के लिए लगे किसानों को सरकार के तरफ से सुविधा सहूलियतें नहीं मिल रही हैं. उनके साथ सब उपलब्ध है कहकर छलावा किया जा रहा है. क्षेत्र में संचालित साधन सहकारी समितियों के गोदामों पर वर्तमान रवि खेती के लिए सबसे महत्वपूर्ण उर्वरक डाई ही उपलब्ध नहीं है. आलू और गेहूं तथा मक्का की खेती के लिए किसानों को सबसे ज्यादा दरकार उर्वरक के रूप में डाई की ही होती है.
पिछले साल आलू की खेती में नुकसान उठाए किसान उसकी भरपाई के लिए इस साल और भी जोशो-खरोश के साथ आलू की बुवाई में लगे हैं. आलू की खेती के लिए बीज के साथ ही सबसे अधिक महत्वपूर्ण उर्वरक डाई होता है. फिर बैरिया विधानसभा क्षेत्र में आलू का रिकार्ड उत्पादन होता है. इस क्षेत्र में यह सुविधा उपलब्ध रहनी चाहिए. बाजार के उर्वरक पर किसानों को इतना भरोसा नहीं, जितना साधन सहकारी समितियों के गोदामों से मिलने वाले डाई पर होता है. संबंधित विभाग के जिले के आला अधिकारी जिला सहायक निबंधक राम नारायण सिंह समाचार पत्रों के माध्यम से बयान जारी करते हैं कि जिले में डाई की कोई कमी नहीं है. पढ कर नतीजा यह रहा कि गुरुवार के दिन साधन सहकारी समितियों के गोदामों पर आलू, गेहूं व मक्का उत्पादक किसानों की भीड़ नजदीकी साधन सहकारी समितियों पर जुट गई. लोग वहां के सचिव से डाई मांग रहे थे. जबकि क्षेत्र के बैरिया, कोटवां, चाईछपरा, हनुमानगंज/मानगढ़, श्रीनगर/दलछपरा, टेंगरहीं, बलिहार, चांददियर, कर्णछपरा, डोकटी, भगवानपुर, शिवपुर कपूरदियर, दयाछपरा आदि किसी भी गोदाम पर छटांक भर भी डाई उपलब्ध नहीं रहा. किसानों के साथ छलावा किया जा रहा है. ऐसा किसानों का आरोप है.