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इस जगह के लिये न कोई योजना बनी, न किसी ने सोचा
हल्दी (बलिया) से सुनील कुमार द्विवेदी
बाढ़ आने पर जिला प्रशासन से लेकर कई विभागों के हाथ-पांव फूलने लगते है. इसके लिए संबंधित लोग खूब पसीना बहाते है, लेकिन पूरे साल भर सभी हाथ पर हाथ रखे बैठे रहते है. यही कारण है कि बाढ़ के दिनों में हजार समस्याएं मुहं बाए खड़ी हो जाती है. इस बार सबका ध्यान दुबेछपरा में हो रहे कटान पर लगा. जबकि पिछले साल ही इलाकाई थाने में पानी घुसा था, पिछले साल की तरह अगर इस बार बाढ़ आयी तो थाने को बचाना मुस्किल होगा. इतना ही नहीं पिछले साल भरसौता स्थित रेगुलेटर से रिसकर गंगा का पानी दर्जनों एकड़ फसल बर्बाद कर दिया था. जिससे ग्रामीणों में काफी दहशत है, क्योंकि रेगुलेटर के सामने ही रिहायशी इलाका है.
हल्दी थाना मुख्य मार्ग से करीब 10 फीट गहरे में स्थित है. दशकों पहले थाने के चारों तरफ से लगभग 10 फीट ऊंची मिट्टी का बंधा बनाया गया. ताकि बाढ़ का पानी थाने में न जा सके. काफी दिनों तक बंधा कारगर रहा लेकिन अब वह स्थिति नहीं है. पिछले साल आई बाढ़ में बंधा क्षतिग्रस्त हो गया. उस समय गंगा नदी का पानी आंशिक रूप से थाना परिसर में घुस गया था. पुलिस कर्मी, बाढ़ विभाग व अन्य लोगों के सहयोग से काफी मशक्कत के बाद उसे रोका जा सका था. लेकिन जैसे ही गंगा नदी का पानी कम होने लगा बंधा का एक हिस्सा पानी में समा गया. तब से लेकर आज तक किसी ने उस पर ध्यान नहीं दिया. जबकि शीघ्रातिशीघ्र निर्माण व की ऊचीकरण की आवश्यक्ता है. जो आज तक नहीं हो सका. उसके तरफ किसी का ध्यान ही नहीं है. अगर पिछले साल की तरह गंगा नदी उफनाई तो बंधे का खैर नहीं है. हल्दी थाने में स्थित रजिस्टरों व अन्य दस्तावेजो में 63 गांवों के लोगों का अपराधी व निरापराधी होने का रिकार्ड है. मालखाने में जो है सो अलग ही है. जिला प्रशासन व ग्रामीणों को जोड़ने का काम करने वाली पुलिस खुद बेघर हो जायेगी.
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राष्ट्रीय राज्यमार्ग 31पर भरसौता गांव के समीप बने रेगुलेटर पिछले कई वर्षों से रिस रहा है. बीते साल में पानी का रिसाव काफी तेज गति से हो रहा था. अगर यही हाल रहा तो अनहोनी की आशंका प्रबल होगी. संबंधित विभाग द्वारा पूरे साल इस दिशा में कोई पहल नहीं किया गया. रेगुलेटर के सामने रिहायशी इलाका है. यही कारण है कि ग्रामीणों में अभी से काफी दहशत फैली है.