
बलिया. कोरोना काल में अपने माता-पिता या लीगल अभिभावक को खो चुके बच्चों की शिक्षा-दीक्षा व भरण-पोषण के लिए संचालित ‘उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना’ का शुभारंभ गुरूवार को हुआ. योजना के तहत चार हजार प्रति महीने आर्थिक सहायता, शादी योग्य बालिका की शादी के लिए 1.1 लाख रूपए तथा 9 वीं या इससे उपर कक्षाओं में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को नि:शुल्क टैबलेट दिया जाएगा.
इस अवसर पर विकास भवन के एनआईसी कक्ष में मुख्य विकास अधिकारी प्रवीण वर्मा ने आठ बच्चों को योजनान्तर्गत स्वीकृति पत्र देकर योजना का शुभारंभ किया. कार्यक्रम के दौरान वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से मुख्यमंत्री ने जरूरी संदेश दिया.
सीडीओ प्रवीण वर्मा ने बताया कि इस योजनान्तर्गत जिले में कुल 58 बच्चे चिन्हित किए गए हैं. इसमें 22 बालिका व 36 बालक है. वहीं तीन बच्चे ऐसे है, जिनके माता-पिता की मृत्यु पहले से ही हो चुकी है और इस कोविड काल में उनके अभिभावक की भी मौत हो गयी. इन बच्चों की शिक्षा व भरण पोषण के लिए सरकार प्रतिबद्ध है.
ऐसे निराश्रित बच्चों की देखभाल व अत्याधुनिक शिक्षा के साथ स्किल डेवलपमेंट तेजी से करने के लिए प्रदेश के सभी मण्डलों में अटल आवासीय विद्यालय का भी निर्माण हो रहा है. पीएम केयर्स के सहयोग से भी ऐसे बच्चों को आच्छादित करने की कार्ययोजना आगे बढ़ेगी. इस अवसर पर सह विधि परिवीक्षा अधिकारी अर्चना दूबे, बाल संरक्षण अधिकारी विनोद सिंह, शशिकांत, जयप्रकाश, हरिकेश यादव आदि मौजूद थे.
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9वीं से उपर कक्षाओं में अध्ययनरत छात्रों को टैबलेट, बालिका की शादी के लिए 1.1 लाख
मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के तहत निराश्रित बच्चों को शिक्षा दीक्षा व भरण पोषण के लिए चार हजार महीने तो मिलेंगे ही, साथ ही कक्षा 9 या इससे उपर अध्ययनरत छात्र—छात्राओं को नि:शुल्क टैबलेट भी मिलेगा. इसके अलावा अपने माता या पिता या लीगल अभिभावक को खो चुकी बालिका की शादी के लिए एक लाख एक हजार रूपए मिलेगा.
(बलिया से कृष्णकांत पाठक की रिपोर्ट)