सावधान! ‘नौतपा’ काल में झेलनी पड़ेगी भीषण गर्मी और लू के थपेड़े – डॉ. गणेश पाठक

बलिया। तीन दिनों से उमस भरी गर्मी के बीच सोमवार को पछुवा के गर्म हवाओं ने लोगों को घरों से बाहर निकलने से ही रोक दिया. मजबूरी में ही लोग घरों से बाहर निकल रहे. प्रचंड गर्मी से पूरे दिन मानव संग जीव जंतु बेहाल रहे. लोगों को न घर के अंदर आराम मिल रहा था और न ही बाहर. मकानों की दीवारों से आंच निकलती रही. वहीं धूप में बाहर निकलते ही लोग झुलस जा रहे थे. सोमवार को जनपद का अधिकतम तापमान 45 डिग्री सेल्सियस व न्यूनतम 28 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया.

मानसून के आने की उम्मीद 20 जून तक

उधर, मौसम विभाग ने बहु प्रतीक्षित मानसून की सक्रियता का ग्राफ जारी कर दिया है. हालांकि इधर पूर्वांचल में मौसम का रुख इन दिनों बदलाव की ओर होने से गर्मी और बादलों की भी आवाजाही हो रही है. मानसून शुरुआत में लगभग दो से चार दिन तक सुस्त रहा है. आईएमडी यानी मौसम विभाग के अनुसार मानसून के भी तय समय पर ही पूर्वांचल में आने की उम्मीद है. मौसम विभाग ने आखिरकार पूर्वांचल में मानसून के आने की भविष्यवाणी अब कर दी है. मौसम विभाग के अनुसार जारी सैटेलाइट तस्वीरों में अब मौसम का रुख बदला हुआ भले ही नजर आ रहा है मगर मानसून आने की उम्मीद 20 जून तक ही है. पूर्व के वर्षों में भी 20 जून के आस-पास ही पूर्वांचल में मानसून दस्तक देता था. इस बार भी अनुमानों के अनुसार मानसून पूर्वांचल में 20 जून को दस्तक देगा. उत्तर प्रदेश में मानसून सोनभद्र जिले के रास्ते हमेशा दस्तक देता रहा है, इस बार भी सोनभद्र के रास्ते 20 जून को मानसून पूर्वांचल में दस्तक दे देगा. इसी के साथ ही उत्तर प्रदेश में भी मानसून की आमद दर्ज हो जाएगी. मौसम विभाग के अनुसार अगर कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं हुआ तो 20 जून ही वह तिथि है जब उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल के रास्ते मानसून दस्तक देगा. इसके बाद अगले सप्ताह भर में मानसून लखनऊ तक पहुंच जाएगा और इसके कुछ दिन बाद पूरे उत्तर प्रदेश में मानसूनी बादलों का जमावड़ा हो जाएगा.

अमरनाथ मिश्र स्नातकोत्तर महाविद्यालय दूबेछपरा, बलिया के पूर्व प्राचार्य पर्यावरणविद् एवं भूगोलविद् डा० गणेश कुमार पाठक ने एक विशेष भेंटवार्ता में बताया कि वर्तमान समय में उत्तरी भारत एक विशेष भौगोलिक एवं खगोलीय घटना के प्रभाव से गुजर रहा है, जिसके चलते भयंकर गर्मी, लू, आंधी एवं बारिश का सामना करना पड़ सकता है. इस भौगोलिक एवं खगोलीय घटना को “नौतपा” कहा जाता है, जिसका पौराणिक एवं विशेष ज्योतिषीय महत्व भी है.

भौगोलिक एवं खगोलीय घटना की देन है ‘नौतपा’

‘नौतपा’ के शाब्दिक अर्थ से तात्पर्य है नौ दिन की तपन. यदि ‘नौतपा’ को हम वैज्ञानिक दृष्टि से देखें तो यह एक भौगोलिक अथवा खगोलीय घटना है. इस समय सूर्य ‘कर्क रेखा’ पर अपनी किरणें सीधी (लम्बवत) डाल रहा है और अपने देश में कर्करेखा 23 अंश 30 मिनट उत्तरी अक्षांश से गुजरती है, जो भारत के मध्य में पड़ता है. यही कारण है पूरे मध्य एवं उत्तरी भारत में भयंकर गर्मी पड़ती है. यद्यपि इस समय पृथ्वी से सूर्य अधिकतम् दूरी पर रहता है, किन्तु सूर्य की किरणों के सीधे पड़ने से तापमान बढ़ जाता है. यदि देखा जाय तो 23 मई को पृथ्वी से सूर्य की दूरी 15,14,74,849 किमी० रही है, जो 15 जून को 15,19,60,916 किमी० हो जायेगा और फिर क्रमशः घटते हुए 1 जनवरी को 14,70,99721 किमी० हो जायेगा. किन्तु दिसम्बर- जनवरी में सूर्य की किरणें 45 अंश डिग्री से तिरछी पड़ती हैं, जबकि आजकल 87अंश डिग्री से सीधी किरणें पड़ती हैं एवं 15 जून तक 90अंश डिग्री तक पड़ने लगेगीं, इसीलिए इस समय एक वर्ग मीटर क्षेत्र पर एक वर्ग मीटर की किरणें सीधी पड़कर तापमान को बढ़ा देती हैं एवं भयंकर गर्मी तथा लू का सामना करना पड़ता है. यह स्थिति पूरे 15 दिन तक रहती है, किन्तु शुरू के 9 दिनों में विशेष तपन होती है, इसीलिए इस स्थिति को ‘नौतपा’ अर्थात नौ दिन तपने वाला कहा जाता है. नौतपा को ग्रीष्मकाल का कैलेण्डर भी कहा जाता है.

‘नौतपा’ का ज्योतिषीय महत्व

ज्योतिष के अनुसार जब सूर्य चन्द्रमा के नक्षत्र रोहिणी में प्रवेश करता है तो नौतपा की दशा उत्पन्न होती है. इस नक्षत्र में सूर्य 15 दिनों तक रहता है, किन्तु शुरू के नौ दिनों में ही विशेष तपन होती है, इसलिए इसे ‘नौतपा’ कहा जाता है. यह स्थिति प्रत्येक वर्ष मई के अंतिम सप्ताह से लेकर जून के प्रथम सप्ताह तक आता है. ज्योतिषीय गणनानुसार इस वर्ष सूर्य रोहिणी नक्षत्र में 24 मई की आधी रात के बाद 2 बजकर 33 मिनट पर प्रवेश करेगा. वृषभ राशि के 10 अंश से लेकर 23 अंश 40 कला तक की दशा को ‘नौतपा’ कहा जाता है. इस वर्ष नौतपा की शुरूआत 25 मई को प्रातः 7 बजकर 5 मिनट पर सूर्य उदय के साथ हुई है.

‘नौतपा’ का पौराणिक महत्व

नौतपा का पौराणिक महत्व भी देखने को मिलता है. ज्योतिष ग्रंथ ‘सूर्य सिद्धांत’ एवं ‘श्रीमद्भभागवत्’ में नौतपा का वर्णन मिलता है. ऐसा भी माना जाता है कि जबसे ज्योतिष विद्या का विकास हुआ तभी से ज्योतिषियों को नौतपा का ज्ञान था.

इस वर्ष कैसा रहेगा ‘नौतपा’ में मौसम का मिजाज

इस वर्ष ‘नौतपा’ काल में मौसम का मिजाज मिला – जूला रहेगा. इस वर्ष नौतपा की अवधि 25 मई से 2 जून तक रहेगी. भौगौलिक दशाओं एवं मौसम मानचित्रों के अध्ययन से यह सम्भावना व्यक्त की जा सकती है कि शुरू के तीन – चार दिनों अर्थात 25 मई से 28 जून तक भयंकर तपन होगी, जिससे भीषण गर्मी एवं ‘ लू’ का सामना करना पड़ सकता है. इस दौरान बलिया एवं पूर्वांचल के जिलों सहित पूरा उत्तर भारत के लोग भीषण गर्मी से बेहाल रहेंगे. कारण की लाँकडाउन के चलते आकाश एवं वातावरण साफ होने के कारण सूर्य की झुलसाने वाली किरणें काफी तिखे रूपमें धरती पर पड़ेंगी, जिससे जन- जीवन तीन- चार दिन में ही बेहाल हो जायेगा. किन्तु इसी के साथ एक राहत वाली बात भी यह है कि 28 मई से उत्तरी भारत में एक नया पश्चिमी विक्षोभ दस्तक देने वाला है, जिसके चलते न केवल आँधी आयेगी, बल्कि बारिश भी हो सकती है. यह स्थिति तीन- चार दिनों तक रहेगी, इसलिए गर्मी से राहत मिलने की सम्भावना है. इसके साथ ही साथ भीषण तपन के कारण इस समय इस क्षेत्र में निम्नदाब का क्षेत्र स्थापित हो जाता है, जिससे समुद्र की नमी भरी हवाएँ भी इधर लपकती हैं, कारण कि समुद्र में उच्चदाब बन जाता है. इस कारण बादल छाए रहेंगे और छिट- पुट वर्षा भी हो सकती है.

बलिया सहित पूर्वांचल के जिलों में कैसा रहेगा मौसम

यदि हम बलिया सहित पूर्वांचल के जिलों में इस नौतपा काल में मौसम की स्थिति को देखें तो यह क्षेत्र काफी गरम रहेगा. कारण कि इस क्षेत्र में प्राकृतिक वनस्पतियाँ नहीं के बराबर हैं. बलिया, गाजीपुर, मऊ, आजमगढ़, वाराणसी, संतरविदासनगर एवं जौनपुर जिलों में कुल क्षेत्रफल के क्रमशः मात्र 0.01, 0.04, 0.31, 0.03, 0.00 एवं 0.17 प्रतिशत ही प्राकृतिक वन क्षेत्र हैं, जो कि नहीं के बराबर है. वहीं चंदौली, मिर्जापुर एवं सोनभद्र जिलों में यह क्रमशः 30.55, 24.14 एवं 47.84 प्रतिशत है. जबकि कुल भूमि के 33 प्रतिशत भाग पर वनों का होना आवश्यक है. इन जनपदों में धरातलीय जल एवं भूमिगत जल दोनों की स्थिति अच्छी नहीं है. ये दोनों बातें इस क्षेत्र में गर्मी को बढ़ाने वाली हैं. किन्तु पश्चिमी विक्षोभ के चलते इन क्षेत्रों में भी राहत मिलने की सम्भावना व्यक्त की जा सकती है.

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