मधेश आन्दोलन से जुड़े कार्यकर्ताओं के घरों पर छापेमारी

नवलपरासी के स्वतन्त्र मधेश गठबन्धन के सहसंयोजक के घर पर छापेमारी

छापेमारी मे पुलिस उठा ले गयी स्वतन्त्र मधेश गठबन्धन से संबन्धित पुस्तके

नवलपरासी/महेशपुर (नेपाल) से अरुण वर्मा 

नेपाल मे चल रहे मधेश आन्दोलन को कुचलने के प्रयास में सरकार के इशारे पर जगह जगह छापेमारी कर आन्दोलन में शामिल कार्यकताओं के घरों पर छापेमारी कर उन्हें प्रताडि़त करने का क्रम चरम पर है. नवलपरासी रामग्राम नगरपालिका 5 में स्वतन्त्र मधेश गठबन्धन के सहसंयोजक कैलाश महतो के घर पर छापेमारी कर पुलिस ने आन्दोलन से संबन्धित किताबों को जब्त कर साथ लेती गयी.

कौन हैं मधेशी

मधेशी मुख्य रूप से नेपाली निवासी हैं, जो नेपाल के दक्षिणी भाग के मैदानी क्षेत्र में रहते हैं. इस क्षेत्र को ‘तराई क्षेत्र’ भी कहते हैं. इसी क्षेत्र को ‘मधेश’ भी कहते हैं. मधेश शब्द ‘मध्यदेश’ का अपभ्रंश है. यहां की जमीन उपजाऊ है और आबादी भी घनी है. मधेशियों में इस बात का आक्रोश है कि उनकी उपेक्षा की जाती है.

मिली जानकारी के अनुसार अमेरिका मे नासा के वैज्ञानिक रहे डॉ. सीके राउत के नेतृत्व में चल रहे अलग मधेश देश की मांग को लेकर पूरे नेपाल के विभिन्न हिस्सों मे आन्दोलन का क्रम थमने का नाम नहीं ले रहा है. जहां एक ओर आन्दोलनकारी तरह तरह से विरोध प्रदर्शन कर सरकार को उनके अधिकार मनवाने मे लगी हुई है. वही सरकार आन्दोलनकारियों पर तरह तरह से प्रताड़ना देने मे लगी हुयी है.

क्यों आक्रोशित हैं मधेशी 

नेपाल में मधेशियों की संख्या सवा करोड़ से अधिक है. इनकी बोली मैथिली है. ये हिंदी और नेपाली भी बोलते हैं. भारत के साथ इनका हजारों साल पुराना रोटी-बेटी का संबंध है, लेकिन इनमें से 56 लाख लोगों को अब तक नेपाल की नागरिकता नहीं मिल पाई है, जिन्हें नागरिकता मिली भी है, वह किसी काम की नहीं, क्योंकि उन्हें ना ही सरकारी नौकरी में स्थान मिलता है और ना ही संपत्ति में. यानी सिर्फ कहने को नेपाली नागरिक. इसी भेदभाव के खिलाफ मधेशी आंदोलन कर रहे हैं. नेपाल में पहाड़ की महज सात-आठ हजार की आबादी पर एक सांसद है, लेकिन तराई में सत्तर से एक लाख की आबादी पर एक सांसद है! मधेशी नेपाल में एक अलग मधेशी राज्य की मांग कर रहे हैं.

नवलपरासी रामग्राम 5 मे रहने वाले स्वतन्त्र मधेश गठबन्धन के सहसंयोजक कैलाश महतो के घर उस समय नवलपरासी पुलिस ने छापेमारी कर दहशत फैलाने का काम किया, जब वे घर पर नहीं थे. घर में उनकी बीवी व बच्चें पुलिस की इस कार्रवाई की निन्दा कर रहे हैं. वही मानवाधिकार कर्मी भी इस प्रकार की कार्रवाई से क्षुब्ध हैं. महतो का कहना है कि सरकार को बातचीत के लिए आमन्त्रित करना चाहिए, ना कि उत्पीड़नात्मक कार्रवाई. इस प्रकार की कार्रवाई से आन्दोलन और आगे बढ़ेगा.

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