द्वाबा के सियासी सन्नाटे को चीरती चीखें

विधान सभा चुनाव 2017 – हाल ए बैरिया विधानसभा
बैरिया (बलिया) से वीरेंद्र नाथ मिश्र

363 बैरिया विधानसभा क्षेत्र के सियासत में भारतीय जनता पार्टी ने अभी तक अफना दावेदार न घोषित करने का अड़ंगा लगा कर यहां के माहौल में एक अजीब सा सन्नाटा पैदा कर दिया है. अगर कोई कुछ बोलता है, पूछता है तो बस यही की भारतीय जनता पार्टी से किसका टिकट घोषित हुआ? या हो रहा है? जाहिर सी बात है भाजपा टिकट के 5-6 दावेदार आस में अभी भी दिल्ली में ही जमे हुए हैं. लोग उनके यहां फोन पर फोन करके किसे टिकट मिल रहा है, इसकी जानकारी मांग रहे हैं. इलाके में भी एक-दूसरे से फोन करके अथवा मिलकर के भारतीय जनता पार्टी के टिकट के बाबत ही पूछताछ हो रही है.

निश्चित तौर पर भारतीय जनता पार्टी का टिकट कंफर्म होते ही द्वाबा के राजनीति में एक बवंडर उठने वाला है. जिसकी पदचाप सुनाई दे रही है. यहां के राजनीतिक माहौल में तीन धड़े बन चुके हैं. पहला जो चुनाव जीतने के लिए लड़ेगा. ऐसे लोग और पार्टियों यहां जी जान लगा कर लड़ने की तैयारी में है. बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी और समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी विधायक जय प्रकाश अंचल बकायदा मैदान में उतरकर कर जनसंपर्क शुरू भी कर दिए हैं,सलेकिन इस मामले में भारतीय जनता पार्टी पिछड़ती जा रही है.

दूसरा धड़ा वह है, जो एकाएक अपने आप को भविष्य के लिए बतौर नेता प्रस्तुत करने की होड़ में हैं. ऐसे लोग सड़क पर आ गए हैं, लेकिन इनके साथ समस्या यह है कि यह लोग द्वाबा के राजनैतिक प्लेटफॉर्म पर देर से आए और एकाएक आये. इन्हे पहले ही आ जाना चाहिए था. देर से आकर यह लोग कहीं ना कहीं मुखालफत के स्वर उठा रहे हैं. ऐसे लोग कुछ जाति विशेष से हैं. जिनका मतदाताओं के ऊपर कोई असर नहीं दिख रहा है. देर से आने के चलते ऐसे लोग हासिए पर आ गए हैं.

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यहां का तीसरा धड़ा वह महसूस किया जा रहा है, जो अपनी मनचाही पार्टी से टिकट पाने से वंचित रह गए या फिर द्वाबा के राजनीतिक जमीन से हमेशा के लिए बेदखल हो जाने के जोखिम में है. ऐसे में इस तरह के लोग अपना अस्तित्व बनाए रखने के लिए कुछ न कुछ तो करेंगे. ऐसे में चट्टी-बाजार, चौक-चौराहों को छोड़कर गांव-गिरांव में फैले मतदाता खामोशी अख्तियार किए हुए एक तरफ जहां मुखरित लोगों के हां में हां मिला रहे हैं. वही लखनऊ और दिल्ली मैं पक रही राजनैतिक खिचड़ी पर भी गहन नजर रखे हुए हैं.

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