बलिया। कुशाग्र बुद्धि के धनी दो बच्चों को बीएसए डॉ. राकेश सिंह ने अपने कार्यालय में सम्मानित करते हुए कहा कि कौन कहता है कि गुदड़ी में लाल नहीं होता. गरीबी से जूझकर पढ़ने वाले बच्चों के लिए कक्षा पांचवीं की छात्रा आंचल व तीसरी का छात्र मो. आरिफ कुरैशी ‘नई सुबह‘ की तरह है.
निरीक्षण के दौरान बीएसए डॉ. राकेश सिंह ने बांसडीह शिक्षा क्षेत्र के प्रावि बांसडीह नम्बर-एक में कक्षा तीन के छात्र मो. आरिफ कुरैशी पुत्र अमजद तथा शिक्षा क्षेत्र बेलहरी के प्रावि नीरूपुर में कक्षा पांचवीं की छात्रा आंचल को सम्मानित करने का निर्णय लिया था. बीएसए के आमंत्रण पर शुक्रवार को दोनों बच्चों को उनके शिक्षक साथ लेकर बीसए कार्यालय पहुंचे. यहां बीएसए ने दोनों बच्चों को दो सेट कपड़ा, स्वेटर, वाटर बोतल, बैग व 500-500 रुपये नकद पुरस्कार के साथ अन्य सामान देकर सम्मानित किया.
वहां मौजूद लोगों ने दोनों बच्चों से कई सवाल किए, जिसका जबाब दोनों की बड़ी बेबाकी से दिया. बच्चों से जब यह पूछा गया कि वे पढ़ लिखकर क्या बनेंगे? दोनों ने कहा अभी सोचे नहीं है. फिर, सबने कहा ठीक है बेटा, मन लगाकर पढ़ाई करो. मौके पर वित्त एंव लेखाधिकारी (सर्व शिक्षा अभियान) समीर शर्मा, प्राशिसं के जिलाध्यक्ष जितेन्द्र सिंह, डॉ. राजेश पांडेय, क्यूएमसी सदस्य सदस्य संजय कुमार, अब्दुल अव्वल, वरिष्ठ सहायक अजय पांडेय, वेद प्रकाश पांडेय, उमेश सिंह, अजेय किशोर सिंह, पंकज सिंह, राकेश सिंह, मनीष ओझा, जितेन्द्र सिंह, भोला प्रसाद, संजीदा खातून, सरिता दूबे, सत्यनारायण यादव इत्यादि शिक्षक मौजूद रहे.
परिवार की विपन्नता और गृहस्थी की पूरी गठरी का बोझ अपने सिर पर उठाये नौ साल की आंचल के हौसले बुलंद है. इसकी बुद्धि की प्रखरता कहीं भी पस्त नहीं दिखायी दे रही है. घर का चौका-बर्तन करने के बाद भी उसके अंदर पढ़ लिखकर कुछ कर गुजरने की तमन्ना है. परिषदीय स्कूल में आंचल कक्षा 05 की छात्रा है, लेकिन किसी भी मामले में पब्लिक स्कूल में पढ़ने वाले अमीरों के बच्चों से कम नहीं है. कुशाग्र बुद्धि की मालकिन आंचल की व्यथा जब सामने आयी तो बीएसए कार्यालय में ऐसा कोई नहीं था, जिसकी आंखें नम न हुई हो. उसकी पढ़ने की संघर्ष गाथा ने सबकों रूला दिया.
शिक्षा क्षेत्र बेलहरी के प्रावि नीरूपुर में कक्षा 05 की छात्रा आंचल की कहानी बहुत ही अजीबो-गरीब है. दो साल पहले आंचल की मां का निधन हो गया. फिर, चार बहन-भाई में सबसे बड़ी आंचल पर घर के चौका-बर्तन की जिम्मेदारी आ गयी. सुबह घर से मजदूरी के लिए पिता सुनील जायसवाल निकलते हैं, तो शाम को ही लौटते हैं. बतौर आंचल सुबह जल्दी जग जाती है और चौका-बर्तन के बाद खाना भी पकाती है. सब काम निपटाने के बाद वह अपने साथ भाई-बहनों को भी स्कूल ले जाती है. कक्षा पांचवीं में अध्ययनरत आंचल पढ़ने में तो अव्वल है ही, सबके सवालों का जबाब भी पूरी दमदारी से देती है. शुक्रवार को बीएसए डॉ. राकेश सिंह ने आंचल को अपने कार्यालय में सम्मानित किया और कहा कि यहां भी तारे हैं जमीं पे. यह कहते हुए बीएसए के होठों में कम्पन थी. आवाज भर्राई थी और आंखें नम हो उठी थी.