शराब तो अब भी धड़ल्ले से बिक रहे, बस ‘करतबबाजी’ के साथ

बैरिया (बलिया)। स्थानीय कस्बे में चलने वाली बीयर व सरकारी देसी तथा अंग्रेजी शराब की दुकानें अपने पूर्ववत स्थान पर ही चल रही हैं. फर्क बस इतना ही है कि पहले यह दुकान फाटक खोलकर धड़ल्ले से चलती थी और अब पहली अप्रैल से ठीक उसी अंदाज में चल रही हैं, जैसे प्रतिबंधित होली, ईद वह मतदान के दिनों में पुलिस से मिलकर दरवाजा भिड़ा कर चलती हैं. बस सेम उसी तरह से अभी चल रही हैं. ऐसा नहीं है कि ठेकेदार सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार दूसरी जगह तलाश में नहीं है, लेकिन वे जहां-जहां जगह खोज रहे हैं, वहां-वहां अड़ंगा सामने आ जा रहा है.

बैरिया चंपा सती मोहल्ले में दुकान के लिए जगह खोजी तो गई, लेकिन वहां के मोहल्ले वालों ने शराब की दुकान आने का विरोध किया है. लगभग 5 दर्जन ग्रामीणों के हस्ताक्षर वाला पत्रक उपजिलाधिकारी व क्षेत्राधिकारी बैरिया के यहां वरिष्ठ कांग्रेस नेता सीबी मिश्र ने दिया है. तर्क दिया है कि जिस जगह शराब की दुकान खोले जाने की संभावना है, वहीं पर चंपा सती का उपासना स्थल है. सरस्वती ज्ञान मंदिर शिक्षण संस्था है और सबसे बड़ी बात उसी रास्ते सुबह-शाम मुहल्ले की महिलाएं शौच के लिए जाती हैं.

उधर रानीगंज बाजार के देसी व अंग्रेजी शराब की दुकान के लिए पुलिस तथा प्रशासन ने अभी तक कोई कार्रवाई शुरू नहीं की है, जबकि यहाँ की दुकानें बाजार के घनी आबादी और उपासना स्थलों के बीच में है. शराब पीकर उत्पात करना यहां की दिनचर्या है. महिलाओं और शरीफ लोगों का आना-जाना कठिन है. यहां जनता की मांग को दबाया जा रहा है. बैरिया की दुकानें दरवाजा भिडा कर, तो रानीगंज की दुकानें बेखौफ धड़ल्ले से चल रही है.

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