सस्पेंस खत्म, वाराणसी से अजय राय होंगे पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ कांग्रेस उम्मीदवार

योगी के गढ़ में कांग्रेस ने खेला ब्राह्मण दांव, रविकिशन शुक्ला के सामने तिवारी को उतारा

वाराणसी। कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी से अजय राय को मैदान में उतारा है. पहले यहां से प्रियंका गांधी को टिकट दिए जाने की अटकलें थीं. खुद प्रियंका ने भी कहा था कि पार्टी अध्यक्ष कहेंगे तो वहां से चुनाव लड़ूंगी. कांग्रेस ने पिछली बार भी वाराणसी से अजय को ही टिकट दिया था. वे पहले भाजपा में थे. कोलसला विधानसभा से लगातार तीन बार भाजपा के टिकट पर विधायक रहे. 2009 के लोकसभा चुनाव में वे सपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे, लेकिन हार गए थे. इसके बाद वे 2009 में निर्दलीय विधायक रहे. बाद में वे कांग्रेस में शामिल हो गए.
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ से स्नातक अजय राय के राजनीतिक जीवन की शुरुआत धमाकेदार ढंग से तब हुई, जब उन्होंने 1996 में कोलअसला विधानसभा सीट (अब पिंडरा नाम से) से नौ बार विधायक रहे कम्युनिस्ट दिग्गज ऊदल को परास्त किया. वह ऐसा चुनाव था जब लोगों को सहसा नतीजे पर भरोसा नहीं हुआ था. नौ बार के विधायक कामरेड ऊदल का हारना पूर्वांचल की राजनीति में एक बड़ी करवट का संकेत था. अजय राय ने 1993 में भाजपा के सदस्य के तौर पर राजनीति में प्रवेश किया और 2002 में भाजपा शासनकाल में वह प्रदेश के सहकारिता मंत्री भी बने.
लोकसभा चुनाव की बात करें तो उन्हें पुराना अनुभव है. वर्ष 2009 में भाजपा से अनबन होने पर पार्टी छोड़कर अजय राय समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए. वाराणसी संसदीय सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ा और तीसरे स्थान पर रहे. कालांतर में सपा भी छोड़नी पड़ी. इसके बाद उन्होंने निर्दल प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा और कोलअसला की जनता ने उन्हें भारी अंतर से जिताया. सन 2010 में कांग्रेस में शामिल होने की बारी आई तो भारी विरोध हुआ.
वरिष्ठ नेता राजेशपति त्रिपाठी के सहयोग से तत्कालीन प्रदेश प्रभारी दिग्विजय सिंह राय के घर गए और कांग्रेस में शामिल होने का निमंत्रण दिया. तब भी विरोध के स्वर शांत नहीं हुए. लिहाजा अजय राय को कांग्रेस विधायक दल का संबद्ध सदस्य बनाया गया. समय का चक्र चलता रहा. इस दौरान सामाजिक सरोकारों से उन्होंने कांग्रेस में अपनी मजबूत स्थिति बना ली. वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में आलाकमान ने राय को पहले राउंड में ही पिंडरा विधानसभा क्षेत्र से टिकट दिया. यह वह दौर रहा जब वाराणसी के आठ विधानसभा क्षेत्रों से एक मात्र पिंडरा से कांग्रेस के अजय राय ही विजयी हुए. यह रुतबा उन्हें पांच बार हासिल हुआ है.

गोरखपुर में कांग्रेस का गैर राजनीतिज्ञ पर दांव, मैदान में अधिवक्ता मधुसूदन तिवारी

इसी क्रम में कांग्रेस ने 2019 लोकसभा चुनाव के लिए गोरखपुर सीट से अपने प्रत्याशी का ऐलान कर दिया है. भाजपा का गढ़ कहे जाने वाले गोरखपुर में वापसी के लिए प्रयासरत कांग्रेस ने एक बार फिर यहां पर ब्राह्मण चेहरे पर दांव चला है. कांग्रेस ने यहां से मधुसुदन तिवारी को मैदान में उतारा है. मधुसुदन तिवारी की टक्कर यहां पर भाजपा के ब्राह्मण उम्मीदवार रवि किशन शुक्ला और सपा-बसपा गठबंधन के प्रत्याशी रामभुआल निषाद से है.

पेशे से वकील मधुसुदन तिवारी उत्तर प्रदेश बार काउंसिल के मेंबर हैं. उनके कंधे पर पूर्वांचल की इस अहम् सीट पर एक दफा फिर कांग्रेस की वापसी कराने की बड़ी जिम्मेदारी है. कांग्रेस इससे पहले जब अंतिम बार गोरखपुर लोकसभा सीट जीती थी तब ब्राह्मण प्रत्याशी मदन पांडे ने जीत हासिल की थी. मदन पांडे 1984 के चुनाव में इस लोकसभा सीट से जीत दर्ज करने वाले आखिरी कांग्रेसी नेता थे. कांग्रेस ने गोरखपुर में हाल ही में हुए दो चुनावों में भी ब्राह्मण चेहरे पर दांव खेला था.

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