गंगा पार नौरंगा में फूंका चुनाव बहिष्कार का बिगुल

बैरिया (बलिया) से वीरेंद्र नाथ मिश्र

गंगा पार लगभग 30 हजार आबादी वाले बैरिया विकास खंड क्षेत्र के ग्राम पंचायत नौरंगा के नौरंगा, भुवालछपरा, चक्कीनौरंगा, उदईछपरा के डेरा के रहवासी विधान सभा चुनाव 2017 के लिए आचार संहिता लागू होते ही अपने गांव की उपेक्षा से त्रस्त आंदोलन की अंगड़ाई लेने लगे हैं. अब तक के चुने गए जनप्रतिनिधियों व आगामी विधानसभा चुनाव में उतरने वाले प्रत्याशियों का तिरस्कार करने के लिए विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करने का ऐलान कर दिए हैं.

बुनियादी सुविधाओं तक का मोहताज है गंगा पार नौरंगा का 30,000 की आबादी वाला यह इलाका. फोटो – बलिया लाइव

गंगा पार के अपने ही प्रदेश व जनपद के इस ग्राम पंचायत के ग्रामीण बिजली, पानी, सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा, बाढ़ व कटान की समस्या को आजादी के बाद से अनवरत उपेक्षा का आरोप लगाते हुए अब जनप्रतिनिधियों आने वाले प्रत्याशियों की उपेक्षा का मन बना लिए हैं. ग्रामीणो की पूर्व के जनप्रतिनिधियों से शिकायत है कि उन्होंने हमारी समस्याओं को नजरअंदाज किया और भावी प्रत्याशियों से शिकायत है कि हमारे संघर्ष में साथ नहीं दिए, गांव के प्रधान प्रतिनिधि राजमंगल ठाकुर, विनोद ठाकुर, सुरेंद्र ठाकुर, अमरनाथ मिश्रा, राजेश ठाकुर, उधारी ठाकुर, रमाकांत, डॉ. गुड्डू ठाकुर, गोपाल ठाकुर, कुशल ठाकुर, पंकज पांडेय, श्रीमन ठाकुर,  चित्रसेन ठाकुर एक स्वर से कहते हैं कि अपने ही प्रदेश व जिले में हमारे साथ दोयम दर्जे का व्यवहार किया जाता जाता है.

आजादी के बाद से हमेशा हमें आश्वासन की घुट्टी पिलाई जाती है, लेकिन काम के नाम पर कुछ भी नहीं किया जाता. गांव से निकलने का कोई रास्ता नहीं है. विद्यालय है तो शिक्षक उस पार के हैं, जो कभी कभी आते हैं. बच्चों की पढ़ाई आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के भरोसे है. अस्पताल है वहां दवा या डॉक्टर का हमेशा ही अभाव बना रहता है. पशु चिकित्सालय तो हैं, लेकिन वहां रहता कोई नहीं. अपनी समस्या लेकर हम लोग जिलाधिकारी के यहां भी गए. जिलाधिकारी के गांव में आने व बीएसए को गांव मे लेकर आने, चौपाल लगाने, समस्या निस्तारण कराने का आश्वासन दिए, लेकिन कोई आया नहीं. हमे टाला गया. अपनी आवाज लखनऊ व दिल्ली तक पहुंचाने के लिये इस बार चुनाव बहिष्कार के लिए गांव के प्राथमिक विद्यालय पर कई बार बैठक कर हम लोग अपनी आपसी राय कर चुके हैं. उपेक्षा का दंश झेलते झेलते हम अपने मताधिकार का प्रयोग इस बार नहीं करके जनप्रतिनिधियों के उपेक्षा का ऐलान कर रहे हैं.

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