अपने गांव में बड़ी शिद्दत से याद किए गए आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी

​दुबहड़ (बलिया)। हिन्दी के कालजयी साहित्यकार एवं ज्योतिष मर्मज्ञ आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी की 111 वीं जयंती शनिवार को उनके पैतृक गाँव ओझवलिया में धूमधाम से मनाई गई.  प्रबुद्धजनों ने आचार्य द्विवेदी के चित्र पर श्रद्धासुमन अर्पित कर नमन किया. इस मौके पर  “हिन्दी साहित्य-जगत में हजारी प्रसाद द्विवेदी की प्रासंगिकता व योगदान विषयक” संगोष्ठी का आयोजन किया गया. इस दौरान सांसद आदर्श ग्राम ओझवलिया का वर्षगाँठ भी केक काटकर मनाया गया.

आचार्य पंडित हजारी प्रसाद द्विवेदी स्मारक समिति द्वारा आयोजित कार्यक्रम में मुख्य वक्ता वरिष्ठ साहित्यकार डॉ.जनार्दनराय ने कहा कि  पद्मभूषण आचार्य जी ‘गागर में सागर की भाँति अनन्त ज्ञानराशि के भण्डार थे. वे साहित्यिक नभोमण्डल के सतत् देदीप्यमान प्रकाश-पुञ्ज है. जिससे हिंदी के सहस्त्रों दीप स्फुल्लिंग पाकर चतुर्दिक् अपना आलोक प्रसारित कर रहे है. विशिष्ट अतिथि ने कहा कि विद्वत्तप्रवर द्विवेदी जी की गणना उन गिने-चुने विद्वानों में है. जिन्होंने परतन्त्रता एवं स्वतंत्रता दोनों अवधि में साहित्य के वर्चस्व को अद्यतन सुरक्षित रखा. उनमें प्रखर पाण्डित्य, शीला, विनय, ऋजुता आदि सभी गुणों का समावेश था.

वरिष्ठ साहित्यकार प्रोफेसर डा. सुभाषचंद्र सिंह  ने कहा कि साहित्य-शिरोमणि पंडित जी साहित्य-जगत के महान प्रकाश-स्तम्भों में से अप्रतिम है. समस्त साहित्य- जगत इनके प्रकाश से उद्भाषित है. इन्होंने अनेक गवेषणात्मक श्रेष्ठतम ग्रन्थों एवं निबन्धों का सृजन साहित्य-वाड़्मय की श्रीवृद्धि की है. सांसद भरत सिंह के प्रतिनिधि अरुण सिंह गामा ने कहा कि हिन्दी के मूर्धन्य विद्वान एवं अद्वितीय विचारक डा. द्विवेदी जी बीसवीं शताब्दी के साहित्योद्धारकों में अपनी प्रतिभा, मेधा एवं सारस्वत यज्ञानुष्ठानों से प्रतिष्ठित तथा पूजित है. उनका कृतित्व एवं व्यक्तित्व अपने आप में एक संस्थान है.

जिला सेवायोजन अधिकारी एके पाण्डेय ने कहा कि आचार्य जी ने गम्भीर अध्ययन, मनन एवं चिंतन द्वारा तपोनिष्ठ जीवन में हिंदी की महन सेवा की है, साथ ही अपने अध्ययन-अध्यापन, अनुसंधान तथा अपनी कृतियों के माध्यम से हिंदी की गौरव-गरिमा को समुन्नत करने का अनवरत प्रयास किया है.

भूमि संरक्षण अधिकारी संजेश श्रीवास्तव ने कहा कि शालीनता की प्रतिमूर्ति द्विवेदी जी के साथ एक युग जुड़ा है. जिनके सुयोग्य एवं सक्षम मार्गदर्शन में हिन्दीे ने अनेक उपलब्धियाँ अर्जित की. पूर्व जिला पंचायत सदस्य सत्यनारायण गुप्ता ने कहा कि हिन्दी साहित्य-जगत में एक नवीन युग का सूत्रपात करने में आप अग्रणी रहे तथा हिंदी व ज्योतिष के प्रचार-प्रसार एवं अभ्युत्थान में सराहनीय कार्य किया है. जिसे आने वाली पीढ़ी स्मरण करेगी.

भाजयुमो के जिलाध्यक्ष अरूण सिंह बन्टू ने कहा कि गुरूजी के सम्पर्क में आये हुए कतिपय अल्पज्ञ भी बहुश्रुत विद्वान बन जाने की प्रेरणा ग्रहण कर तथा इनके ज्ञानप्रदीप के प्रकाश से अपने अन्तस्तल के अज्ञानान्धकार को विदीर्ण कर स्वयं प्रोद्भासित हो उठे. कार्यक्रम के अंत में समिति के प्रबंधक सुशील कुमार द्विवेदी ने सभी का आभार व्यक्त किया. इस अवसर पर जिला पंचायत सदस्य द्वय प्रेमप्रकाश सिंह पिन्टू, अवधेश राय, सांसद प्रभारी कमलेश पाण्डेय, प्रमोद पाण्डेय, सेन्ट्रल बैंक के वरिष्ठ प्रबंधक केडी शर्मा, कृषि उपनिदेशक इन्द्राज, अग्रणी बैंक पुष्पेश कुमार, श्रम विभाग जितेन्द्र, जरोशन, ब्यासी प्रधान प्रतिनिधि पिन्टू मिश्रा, सरया प्रधान विनोद सिंह, सलेमपुर प्रधान कैमुद्दीन, सोनपुरकला प्रधान मदन सिंह, डुमरी प्रधान द्वारिका सिंह, एलडीएम डीके सिंहा, एफएलसीसी आरएस सिंह, रमेशचंद पाठक, बृजकिशोर दुबे, रामदर्शन वर्मा, सत्यनारायण रौनियार, विनोद गुप्ता, नन्हकू राम, अक्षय कुमार, सोनू दुबे आदि मौजूद रहे. अध्यक्षता ग्राम प्रधान विनोद कुमार दुबे एवं संचालन सुशील कुमार द्विवेदी ने किया.

उधर, आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी की 110 वीं जयन्ती शनिवार को सांसद ग्राम ओझवलिया स्थित आढ़त दूबे के छपरा में आचार्य जी के भतीजा दिनेश कुमार द्विवेदी के तत्वावधान में उनके पैतृक आवास पर मनाई गई. जयन्ती समारोह के मुख्य अतिथि प्रधान मंडल संघ के अध्यक्ष विमल पाठक ने आचार्य जी के चित्र पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया. तत्पश्चात सैकड़ों लोगों ने आचार्य जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित किया. आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए मुख्य अतिथि प्रधान मंडल संघ के अध्यक्ष विमल पाठक ने कहा जाता आचार्य जी हिन्दी जगत के देदीप्यमान,शीर्षस्थ एवं ओजस्वी साहित्यकार थे. उन्होंने अपने लेखनी से हिन्दी जगत के साहित्य में अमूल्य योगदान दिया. आयोजन कर्ताओं ने मुख्य अतिथि का स्वागत माल्यार्पण एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर किया. इस अवसर पर रामाकान्त दूबे, जयदयाल पांडेय, नन्दगोपाल, गोपाल पांडेय, अवधेश दूबे, अमरनाथ उपाध्याय, श्रीकान्त दूबे, कमलेश तिवारी, सुरेश दूबे, ओमप्रकाश दूबे, अभिषेक दूबे, विनायक कुमार, अजीत वर्मा, कन्हैया तुरहा, पारस तुरहा, ज्ञानचंद, सुरेश मिश्रा व्यास आदि उपस्थित रहे.

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