​किसी भीषण हादसे के इंतजार में है एनएच-31 पर रखा बोल्डर

​वो तो गंगा मइया ने इस साल कृपा कर दीं, नहीं तो दिखता तबाही का मंजर

बोल्डर की आड़ में क्षतिग्रस्त कर दिया गया दुबेछपरा से सूघर छपरा तक वर्षों पुराना बंधा

मझौवां (बलिया)। बाढ़ विभाग आम लोगो के लिए कितना संजीदा है यह देखने से पता चलता है. सुघर छपरा मोड़ से लेकर दुबेछपरा महाविद्यालय तक एनएच-31 पर गिरा बाढ़ विभाग का बोल्डर दुर्घटना को दावत दे रहा है. पढ़ने जाने वाले छात्र-छात्राएं व राहगीर अपने जान को जोखिम में डालकर सड़क से गुजर रहे है. जबकि सुघर छपरा मोड़ पहले से ही सड़क दुर्घटनाओं के लिए डेंजर जोन के नाम से विख्यात है. यहां आये दिन सड़क दुर्घटना होती ही रहती है. वहीं सड़क पर सरपट दौड़ रही गाड़ियों के बीच पैदल साइकिल से चलना जोखिम भरा है. क्योंकि इस समय नेशनल हाइवे सुघर छपरा से लेकर दुबेछपरा तक दक्षिण तरफ बिखरे पड़े बोल्डरों के चलते वन वे बन कर रह गया है. बाढ़ विभाग के उदासीनता का आलम यह है कि लगभग दो महीने से बाढ़ विभाग एनएच पर बोल्डर बेढंग ढंग से उसी तरह छोड़ दिया है. 

इतना ही नहीं बोल्डरों को जेसीबी मशीन से उठाकर ट्रैक्टर और ट्रकों पर लाद कर ले जाते समय बंधे की मिट्टी जो बंधा एनएच 31 की सुरक्षा के लिए है, उसे क्षतिग्रस्त कर दिया गया है. निकटवर्ती गांवो के तजुर्बेकार लोगों की माने तो रिंग बंधे की 80 प्रतिशत मिट्टी को बाढ़ विभाग काट बाढ़ निरोधक कार्यों में लगाकर खेल खेला है. करीब सैकड़ों ट्राली मिट्टी का बजट(इस्टीमेट) बनाकर जमकर बंदरबाट लूटखसोट किया गया है. लोगों का कहना है कि बाढ़ कटान रोधी कार्य जिस ढंग से हुआ है बस यही कहा जा सकता है कि​ वो तो गंगा मइया ने इस साल कृपा कर दीं, नहीं तो दिखता तबाही का मंजर. उपर से बोल्डर की आड़ में क्षतिग्रस्त कर दिया गया दुबेछपरा से सूघर छपरा तक वर्षों पुराना बंधा. इन दिनों कार्य बिल्कुल स्थिल पड़ गया है. और बोल्डर एनएच सड़क पर उसी तरह तितर-बितर बिखरा पड़ा है. जो दुर्घटना को दावत दे रहा है.

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