

बैरिया तहसील क्षेत्र के गंगा पार नौरंगा में जारी है गंगा की लहरों का कहर. लगातार उपजाऊ जमीन गंगा के कटान के भेंट चढ़ रही है. 3 दिनों के अंदर 15 एकड़ से अधिक उपजाऊ जमीन कट चुकी है.

जिलाधिकारी सुरक्षित क्षेत्र से ही चौपाल लगा वापस लौट गए, सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्रों तक डीएम के न पहुंचने से मायूसी

नौरंगा के ग्रामीणों की शिकायत है कि कल यह चौपाल लगाने आए जिलाधिकारी उधर सुरक्षित क्षेत्र से ही वापस लौट गए. बाढ़ कटान जो क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित है उन गांव तक जिलाधिकारी के नहीं पहुंचने से ग्रामीणों में मायूसी है.

बताते चलें कि गंगा की लहरों का कहर गंगा पार नौरंगा में समाचार भेजे जाने के समय तक जारी है. गंगा के जलस्तर में लगातार घटनाओं के साथ ही वहां के खेतों का लगातार कटान हो रहा है.
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ग्रामीणों की माने तो विगत 4 दिनों में 15 एकड़ से अधिक उपजाऊ जमीन कट चुकी है. बहुत से किसान भूमिहीन हो गए हैं. खेतों के कटने से उनकी चिंता बढ़ती जा रही है. किसान आशंका व्यक्त कर रहे हैं किसी तरह से कटान जारी रहा तो अब हमारे घरों का भी नंबर आ सकता है. ग्रामीणों में इस बात की भी शिकायत है की तो हमारे यहां कोई अधिकारी आने का नाम नहीं लेता. कल गांव में जिला अधिकारी आए भी तो उधर ही सुरक्षित क्षेत्र में चौपाल लगाकर वापस लौट गए. हमारी परेशानियों को तो समझ में नहीं, और ना ही देखें. अगर देखते तो जरूर ही कोई उपाय करते.

ग्रामीणों का आरोप है किया तो चमचागिरी में कतिपय लोग उधर से ही जिलाधिकारी को लौटा दिए. इधर वास्तविक परेशानी वाली जगह के तरफ उन्हें आने ही नहीं दिए या फिर अधिकारी जानबूझकर यहां की वास्तविक परेशानी को जिलाधिकारी को नहीं दिखाए. उनके काले कारनामों की पोल पट्टी खुल जाती.
पुल ध्वस्त मगर प्रभावित गांवों को नाव तक नहीं मिली
उक्त गांव के श्रीभगवान यादव, रामजी ठाकुर, अभिषेक ठाकुर, परशुराम ठाकुर, घूरुल मंसूरी, विकास ठाकुर आदि का कहना था कि यहां पर नौरंगा ग्राम पंचायत के ही नौरंगा वह चक्की नौरंगा गांव के बीच का पुल एक सप्ताह पहले ध्वस्त हो गया. ऐसे में दोनों गांव के बीच का संपर्क टूट गया है. आने जाने के लिए सरकारी स्तर पर अपेक्षित नाव की व्यवस्था नहीं की गई है. हम लोगों के खेत लगातार कट रहे हैं. समझ में नहीं आता कि हम क्या करें.

यह भी कहा कि अगर उत्तर प्रदेश सरकार हमारी व्यवस्था नहीं कर पा रही है तो हमें बिहार में ही जोड़ दें. कम से कम हमारे पास पड़ोस के गांव जो बिहार राज्य में पडते हैं, वहां के लिए तो बिहार सरकार काफी बेहतर व्यवस्था देती है. गंगा पार होने के चलते हमारे यहां की योजनाएं भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाती हैं. अधिकारियों में गंगा पार करके इस तरफ आने से बचने की जो प्रवृत्ति है. उसका दुष्परिणाम हमारे ग्राम पंचायत वासियों को उत्तर प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में भ्रष्टाचार के रूप में भुगतना पड़ता है.